image: Pauri garhwal women good work for self employment

गढ़वाल: लॉकडाउन में महिलाओं ने बंजर गांव किया आबाद..स्वरोजगार के लिए शानदार काम

कोट गांव की महिलाएं लॉकडाउन की अवधि के दौरान वर्षों से बंजर पड़े खेतों को एकजुट होकर जीवित कर रही हैं। महिलाओं ने स्वरोजगार का जीता-जागता उदाहरण समाज के आगे पेश किया है और मिसाल कायम की है।
May 16 2020 9:30PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

लॉकडाउन लगने के बाद से ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच खेती को लेकर रुझान काफी बढ़ गया है। और किसी को फायदा हुआ हो या न हुआ हो मगर उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन के परिणाम उम्मीद जगाने वाले साबित हुए हैं। विकासखंड के कोट गांव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। कोट गांव की महिलाएं आजकल सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई हैं। लॉकडाउन के दौरान कोट गांव की महिलाओं ने वर्षों से बंजर पड़े खेतों को फिर से आबाद करने की मुहिम शुरू कर दी है। उत्तराखंड में गांव से शहरों की ओर हो रहे पलायन से गांव के खेत बंजर पड़ चुके। ऐसे में कोट गांव की महिलाओं ने यह ठान लिया है कि वह अपने गांव के खेतों को फिर से हराभरा करेंगी और उनको आबाद करेंगी। अबतक कोट गांव की हिम्मती और मेहनतशील महिलाओं ने दर्जनभर से भी अधिक खेतों को आबाद कर के स्वरोजगार का जीता-जागता उदाहरण पेश किया है। वह खेतों में तरह-तरह की सब्जियों के बीज बो रही हैं। बीज बोती महिलाओं के चेहरे पर एक उम्मीद है कि लोग स्वरोजगार को अपनाएंगे और गांव में आर्थिक गतिविधियों को फिर से गति मिलेगी।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: रेड जोन घोषित हो सकता है देहरादून..कोरोना से बिगड़ रहे हैं हालात
लॉकडाउन के चलते राज्य भर में व्यवसायिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में लोग शहरों से गांव की ओर रुख कर रहे हैं। इस संकट के समय कोट गांव की महिलाएं लोगों को स्वरोजगार की प्रेरणा दे रही हैं। उनके द्वारा शुरू की गई इस पहल को कई लोगों के द्वारा सराहना मिल रही है। लोगों को सही दिशा का प्रदर्शन कराने वाली यह पहाड़ी महिलाओं ने एकजुट होकर अबतक एक दर्जन से भी अधिक खेतों में प्राण डाल दिए हैं। कोट गांव की महिलाएं सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए खेतों में सब्जियां उगा रही हैं। महिला मंगल दल से जुड़ीं अनीता देवी, हेमंती देवी और संगीता देवी बताती हैं कि इन गांव में बंजर पड़े खेतों को आबाद करने का सुझाव ग्राम प्रधान रीना रौथाण ने दिया। उन्हीं ने महिलाओं को सब्जियों के बीज उपलब्ध कराए। ग्राम प्रधान रीना रौथाण का कहना है कि गांव की महिलाओं द्वारा उठाया गया यह कदम लोगों को स्वरोजगार का एक मजबूत संदेश देता है। उनका कहना है कि कोरोना की वजह से बनी वर्तमान हालातों को देखते हुए एकमात्र खेती ही स्वरोजगार का सबसे मजबूत जरिया है। उन्होंने कहा कि गांव की महिलाओं द्वारा खेती करके वह भविष्य में आर्थिक रूप से काफी मजबूत बनेंगी।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home