ये है देवभूमि का ‘धरतीपुत्र’...शेर जैसा हौसला...वो कर दिया, जो कोई नहीं कर पाया !
Apr 22 2017 10:29AM, Writer:मीत
हम बार बार ये सुनते आए हैं कि उत्तराखंड के जंगलों को बचाना है, उत्तराखंड के जंगलों को नया जीवन देना है। लेकिन सही मायनों में देखें तो लोग इस तरफ ध्यान नहीं देते। यहां तक कि सरकारें भी कई बार बड़ी बड़ी बातें करने के बाद हवा हो जाती हैं। लेकिन एक शख्श ने अपनी मेहनत से ना सिर्फ पानी की कमी को पूरा किया, बल्कि एक बड़ा जंगल उगा दिया। जहां कभी पानी नहीं रहता था, वहां अब पानी बरस रहा है, जहां लोग थोड़ी सी हरियाली के लिए तरसते थे, आज वहां बांज, बुरांश, काफल और ना जाने कैसे कैसे औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष लगे हैं। जहां चीड़ का जंगल धरती की कोख को सुखा चुका था और पानी की एक एक बूंद के लिए जिद्दोजहद करने को गांव मजबूर था । ऐसे में एक शख्स ने गांव को इस परेशानी से निजात दिलाने की ठानी और जी-जान से जुट गया काया पलटने में।
कई सालों की मेहनत आखिरकार रंग लाई और धरती हरी-भरी हो गई। आज गांव में चीड़ की जगह बांज का जंगल लहलहा रहा है। इनका नाम है शेर सिंह जड़ौत, जो कि भैंसियाछाना के बूंगा बिलवाल गांव के रहने वाले हैं। पेशे से ये पूर्व प्रधानाध्यापक रहे हैं। इसी गांव में कभी पानी का घनघोर संकट था। सो, सेवानिवृत्ति के बाद शेर सिंह पानी के संकट को दूर करने के लिए पूरे मनोयोग से जुट गए। उन्होंने पता किया कि गांव में पानी का अकाल पड़ने की अहम वजह चीड़ का जंगल है। तो शर सिंह जी ने भी मन में ठान ली। दो दशक पहले इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी ही जमीन से की। वहां सबसे पहले उन्होंने बांज की नर्सरी तैयार की, लेकिन चुनौती बहुत बड़ी थी। क्योंकि सामने 20 हेक्टेयर भूमि पर फैला चीड़ का विशाल जंगल था। जैसे-जैसे नर्सरी तैयार होती गई तो वो जंगल में बांज के पौधे रोपते गए।
नतीजा, 20 हेक्टेयर में फैला चीड़ का जंगल अब बांज के जंगल में तब्दील हो चुका है। इसके अच्छे परिणाम भी आए और सालों से सूखे पड़े नौले पानी से लबालब भर गए। आज गांव में पानी का कोई संकट नहीं है। बांज का जंगल लहलहाने के बाद इस जमीन और कई गुणकारी पौधे खुद-ब-खुद उगने लगे। आपको बता दें कि चीड़ का पेड़ जमीन की नमी सोख लेता है और अपने आसपास कोई दूसरा पौधा नहीं उगने देता। लेकिन, जब बांज लगा तो धरती में नमी हो गई। इसका असर ये हुआ कि जंगल में पहली बार उतीस उगा और फिर बुरांश और काफल के पेड़ भी उगने लगे। 20 हेक्टेयर में फैले जंगल को साफ करना आसान नहीं था। इसके लिए शेर सिंह ने गांव के लोगों को भी प्रेरित किया। उन्होंने अपनी नर्सरी से लोगों को बांज के बीज और पौधे बांटने करने शुरू किए। इस तह से इस धरती पुत्र ने सभी को प्ररित किया और आज उस गांव में हरियाली मुस्कुरा रही है।