केदारनाथ मंदिर का हैरान कर देने वाला सच...ये खबर पढ़कर आपको गर्व होगा
May 4 2017 1:45PM, Writer:हैदर अली खान
उत्ताराखंड में बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा के दर्शन किए। केदारनाथ दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है। प्रधानमंत्री रहते केदारनाथ जाने वाले नरेंद्र मोदी देश के तीसरे पीएम हैं। इससे पहले इंदिरा गांधी और वीपी सिंह पीएम के तौर पर यहां आ चुके हैं। पीएम मोदी के बाद इसी हफ्ते राष्ट्ररपति प्रणब मुखर्जी भी उत्त रांड आ रहे हैं और वो केदारनाथ के अलावा बद्रीनाथ भी जाएंगे। आज आपको छोटे हिमयुग से जुड़ा केदारनाथ मदंरि का वो हैरतअंगेज सच बताएंगे जिसे पढ़ कर आप भी हैरान रह जाएंगे। 12 ज्योोर्तिलिंगों में केदारनाथ को सर्वोच्ची माना जाता है। केदारनाथ मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है। पहला-गर्भगृह, दूसरा-दर्शन मंडप जहां पर दर्शानार्थी एक बड़े प्रागण में खड़े होकर पूजा करते हैं, तीसरा- सभा मण्डप, इस जगह पर सभी तीर्थयात्री जमा होते हैं. तीर्थयात्री यहां भगवान शिव के अलावा ऋद्धि सिद्धि के साथ भगवान गणेश, पार्वती, विष्णु और लक्ष्मी, कृष्ण, कुंति, द्रौपदि, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव की पूजा अर्चना भी करते हैं।
केदारनाथ मंदिर 400 साल तक बर्फ में दबा रहा था। लेकि,न इतने समय तक बर्फ में दबे रहने के बाद भी मंदि र को कुछ नहीं हुआ। यहां तक किफ साल 2013 में आई जल प्रलय में मंदि र पानी में पूरी तरह से डूब गया था। लेकिआन आज भी मंदि र की खूबसूरती पहले की तरह ही बरकरार है। और वो पूरी तरह से सुरक्षित है। बता दें किस 13वीं से 17वीं शताब्दी तक यानी 400 साल तक एक छोटा हिमयुग आया था। जिसमें हिमालय का एक बड़ा क्षेत्र बर्फ के अंदर दब गया था। मंदिर बर्फ से ही ढका रहा था। वैज्ञानिकों की माने तो मंदिर की दीवार और पत्थरों पर आज भी इसके निशान हैं। ये निशान ग्लैशियर की रगड़ से बने। ग्लैशियर हर वक्त खिसकते रहते हैं। वो न सिर्फ खिसकते हैं बल्कि उनके साथ उनका वजन भी होता है और उनके साथ कई चट्टानें भी, जिसकी वजह से उनके रास्ते में आई हर चीज रगड़ खाती हुई चलती हैं। ये चमत्कार नहीं तो और क्या है। सालों तक बर्फ के नीचे दबरे रहे इस मंदिर को कुछ नहीं हुआ और आज भी उसी तरह से जैसे वो सदियों पहले था। देश ही नहीं दुनिया का कोई भी इनसान जब बाबा के मंदिर का ये इतिहास पढ़ता है तो वो आस्था के समंदर में डूब जाता है।
पुराणों में वर्णित मान्यताओं के अनुसार महाभारत की लड़ाई के बाद पाण्डवों को जब अपने ही भाइयों के मारे जाने पर बहुत दुख हुआ तो वे पश्चाताप करने के लिए केदार की इसी भूमि पर आ पहुंचे, कहते हैं कि उसकी वक्त इस मंदिर की स्थापना हुई। कहा जाता है कि जब पांडव यहां आये तो भगवान शिव उनसे खफा थे वो नहीं चाहते थे कि पांडव उनके दर्शन कर सकें, लेकिन पांडवो को तो भगवान शंकर के दर्शन करने की मानो जिद थी। यही वजह थी की शिव ने नदी रूप धारण कर लिया था। पांडवों से छुपने के लिए भगवान शिव जैसे ही पाताल में जाने लगे वैसे ही पांडवों ने भगवान के नदी स्वरूप के पीछे का हिस्सा पकड़ लिया, लेकिन तब तक भगवान शिव आधे पाताल में जा चुके थे, तभी से भगवान के पिछले हिस्से की पूजा केदार में और उनके मुख रूप की पूजा नेपाल में पशुपति नाथ मंदिर के रूप में की जाती है। ऐसी कई पौराणिक कथाएं और बाबा से जुड़े कई चमत्कार हैं। जिसे जानकर पूरी दुनिया हैरान रह जाती है। और वैज्ञानियों के पास आज भी इन चमत्कारों को कोई जवाब नहीं।