उत्तराखंड का सबसे अनोखा मंदिर...जहां सालों से कैदखाने में कैद हैं देवता...जानिए आखिर क्यों ?
May 11 2017 9:15PM, Writer:मीत
चमोली जिले में मौजूद भविष्यबदरी और लाटू देवता के कपाट खोल दिए गए हैं। इस मौके पर मंत्री सतपाल महाराज के पहुंचने का कार्यक्रम तय था। लेकिन खराब मौसम के चलते उनका हेलीकाप्टर नहीं पहुंच सका। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भले ही जेल में हुआ, लेकिन जन्म लेते ही वह जेल से आजाद हो गए। लेकिन उत्तराखंड के एक देवता ऐसे हैं जो ना जाने कबसे से कैदखाने में बंद हैं। कैदखाना ही इनका मंदिर है। ये देवता हैं लाटू देवता। साल में सिर्फ एक बार वैशाख पूर्णिमा को कुछ घंटों के लिए मंदिर का द्वार खुलता है। ये एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन पुजारी भी नहीं कर पाते हैं। क्योंकि मंदिर का द्वार खोलते समय पुजारी के आंखों पर पट्टी बंधी होती है। रिश्ते में यह देवता भगवान शिव के साले और माता पार्वती के भाई हैं। लेकिन एक गलती के कारण देवी पार्वती ने इन्हें कैद में डाल दिया और तब से ये कैद में रहते हैं। इस देवता का नाम है लाटू देवता।
इस देवता का मंदिर नंदा देवी यात्रा के मार्ग में वांण क्षेत्र में है। लाटू देवता के विषय में ऐसी कथा है कि देवी पार्वती के साथ जब भगवान शिव का विवाह हुआ तो पार्वती जिसे नंदा देवी नाम से भी जाना जाता है। इन्हें विदा करने के लिए सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े। इसमें चचेरे भाई लाटू भी शामिल थे। मार्ग में लाटू को इतनी प्यास लगी कि पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे। इस बीच लाटू देवता को एक घर दिखा और पानी की तलाश में घर के अंदर पहुंच गए। घर का मालिक बुजुर्ग था। बुजुर्ग ने लाटू देवता से कहा कि कोने में मटका है पानी पी लो। घर के अंदर कांच के घड़े में कच्ची शराब और मिट्टी के दूसरे घड़े में पानी था, लेकिन कच्ची शराब इतनी स्वच्छ रहती है कि लाटू उसे साफ पानी समझकर पी लेता है। जब लाटू को पता चलता है कि उसने पानी की जगह शराब पी ली है और उसका कर्म भ्रष्ट हो गया है तो उसे अपने पर घृणा आती है।
अपराध बोध होने पर वह दरवाजे पर अपनी जीभ बाहर निकालता है। माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराजा मणि के साथ निवास करते हैं। श्रद्धालु साक्षात नाग को देखकर डरे न इसलिए मुंह और आंख पर पट्टी बांधी जाती है। ये भी कहा जाता है कि पुजारी के मुंह की गंध देवता तक न पहुंचे इसलिए उसके मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान भी पट्टी बंधी रहती है। जिस दिन लाटू देवता के कपाट खुलते हैं उस दिन यहां पर विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका का पाठ भी आयोजित किया जाता है। लाटू देवता को उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है। ‘लाटू देवता स्थानीय लोगों का आराध्य देवता माना जाता है। वाण में स्थित लाटू देवता के मंदिर के कपाट सालभर में एक ही बार खुलते हैं। इस दिन यहां विशाल मेला लगता है। तो ये है लाटू देवता की कहानी। आगे भी राज्य समीक्षा आपको और मंदिरों के रहस्यों के बारे में बताएगा।