कश्मीर समस्या हो जाएगी खत्म...सेना का पीएम मोदी को इशारा...बस ये काम कर दो!
May 14 2017 8:06PM, Writer:Shantanu
आतंकियों से लेकर अलगाववादी तक सभी कश्मीर में माहौल खराब कर रहे हैं। ऐसा नही है कि सरकार और सेना के पास ये जानकारियां नहीं है। लेकिन सेना के हाथ बंधे हुए हैं। हाल के दिनों में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने जिस तरह का रुख दिखाया है। वो किसी बड़ी साजिश की तरफ संकेत कर रहा है। लगातार चौथे दिन भी पाक की तरफ से फायरिंग जारी रही। इसी को देखते हुए अब सेना की तरफ से एक संकेत दिया गया है। इंडियन आर्मी के मुताबिक वो कश्मीर समस्या का हल निकाल सकती है। उसके लिए केंद्र सरकार को बस एक काम करना होगा। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सेना ने केंद्र सरकार को संकेत दिए हैं। सेना ने आतंकियों का खात्मा और घाटी में शांति बहाली के लिए सरकार को संकेत दिया है। इंडियन आर्मी चाहती है कि घाटी में राज्यपाल शासन लगा दिया जाए। सेना के मुताबिक राज्यपाल शासन घाटी में आतंकियों से निपटने में मददगार साबित होगा।
बता दें कि पिछले साल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में हालात खराब हैं। लगातार हिंसक घटनाएं हो रही हैं। अलगाववादी नेता भी फिर से अपने रंग दिखा रहे हैं। पाकिस्तान से उन्हे फंडिंग की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में घाटी में बैंक लूटने की कई वारदातें भी सामने आई हैं। खास तौर पर दक्षिणी कश्मीर में हालात ज्यादा खराब दिख रहे हैं। पिछले एक साल के दौरान इस इलाके के सैकड़ों युवाओं ने हथियार उठाए हैं। इन सबसे निपटने के लिए कड़ा एक्शन लेना होगा। उसके लिए राज्यपाल शासन ज्यादा मुफीद रहेगा। उस दौरान सेना को ज्यादा छूट मिल जाएगी। यही कारण है कि इंडियन आर्मी ने मोदी सरकार को इस बात का इशारा कर दिया है। सेना ने अलगाववादियों के लिए भी रणनीति तैयार की है। इसके मुताबिक अलगाववादियों को घाटी के बाहर की जेलों में भेजने की जरूरत है।
इनको घाटी से पूरी तरह के काटना होगा। उस के बाद घाटी में हालात सामान्य होंगे। इसके साथ इंडियन आर्मी ने बीजेपी-पीडीपी गठबंधन को लेकर भी संकेत दिया है। सेना का मानना है कि इन दोनों दलों के गठबंधन के कारण लोगों में गुस्सा है। अगर घाटी में राज्यपाल शासन लागू किया जाएगा तो इस से हालात में सुधार हो सकता है। बता दें कि जम्मू और कश्मीर का अलग संविधान है। इसके अलावा केंद्र सरकार के पास धारा 356 का इस्तेमाल करने का भी अधिकार है। अब देखना है कि सेना के इशारे को केंद्र सरकार कब समझती है। बता दें कि पहले भी घाटी में राष्ट्रपति शासन की चर्चाएं हुई हैं। महबूबा मुफ्ती के काम से बीजेपी नाराज भी बताई जा रही है। अब देखना ये है कि सेना का ये संकेत प्रधानमंत्री मोदी कब समझते हैं।