image: Gauri kund of gangotri

उत्तराखंड की वो जगह, जहां महादेव की परिक्रमा करती है मां गंगा की धारा

Jun 19 2017 9:21AM, Writer:जतिन

यूं तो उत्तराखँड अपनी कई विशेषतां के लुए जाना जाता है। लेकिन यहां सबसे प्रमुख है देवस्थान। जगह जगह आपको उत्तराखंड में ऐसे ऐसे किस्से सुनने को मिलेंगे, कि आप एक बार के लिए हैरान रह जाएंगे। इस बीच हम आपके लिए एक शानदार खबर लाए हैं। क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है जहां गंगा की धारा भगवान शंकर की परिक्रमा करती है। गंगोत्री धाम के बारे में आपने तो सुना ही होगा। ये वो धाम है जो दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बना चुके है। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में सूर्य कुंड और गौरी कुंड अपना अलग ही महत्व रखते हैं। आज भी भागीरथी की धारा इन्हीं कुंडों से होकर आगे बढ़ती है। पुराणों में भी इन दो कुंडों का उल्लेख किया गया है। इनकी खूबसूरती निहारने के लिए दुनिया भर से सैलानी हर साल यहां पहुंचते हैं। उत्तरकाशी से सौ किलोमीटर दूर समुद्र तल से 3140 मीटर की ऊंचाई पर है गंगोत्री धाम।

कहा जाता है कि गंगोत्री में एक शिला पर बैठकर राजा भगीरथ ने 5500 वर्षों तक तपस्या की थी। राजा भगीरथ ने जिस शिला पर बैठकर तपस्या की थी, उसे भगीरथ शिला कहते हैं। ये शिला आज भी आपको यहां दुख जाएगी। गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित कहते हैं कि जब गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी तो गंगोत्री मंदिर से सौ मीटर के फासले पर राजा भगीरथ ने सूर्यदेव को जल चढ़ांया था। इस स्थान पर आज भी भागीरथी एक धारा के रूप में पूरब दिशा की ओर कुंड में गिरती है। इस कुंड में पत्थर का एक शिवलिंग भी है। गंगोत्री मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर गौरी कुंड स्थित है। ये कुंड गंगा के बीच में विद्यमान है। तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि गौरी कुंड में भगवान शंकर ने मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था। आज भी यहां पर पत्थर का एक शिवलिंग है। तीर्थ पुरोहित बताते हैंं कि इस ही शिवलिंग की गंगा परिक्रमा करती हैं। इसके अलावा भी इस बारे में बहुत कुछ कहा जाता है।

इस शिवलिंग के दर्शन शीतकाल में तब होते हैं, जब भागीरथी का जलस्तर कम रहता है। इस तरह की भी मान्यता है कि गौरीकुंड के अलावा रामेश्वरम में भी गंगा जल नहीं चढ़ाया जाता। जो लोग रामेश्वरम में गंगा जल लेकर जाते हैं, वो पहले गौरीकुंड से गंगा जल भरते हैं।गंगोत्री से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर पटांगणिया नाम की जगह भी पड़ती है। यहां पांडवों ने स्वर्गारोहणी के वक्त यज्ञ किया था। इस दौरान पांडवो ने एक गुफा में रात्रि विश्राम किया था। आज भी पटांगणिया के पास एक गुफा है, जिसे पांडव गुफा कहते हैं।कुल मिलाकर कहें तो जगह जगह पर आपको देवभूमि में कई कहानियां मिल जाएंगी। इनमें से कई कहानियां ऐसी हैं, जो सच लगती हैं। जरा सोचिए कि आखिर कहां से यहां पर शिवलिंग आया और कैसे यहां मां गंगा हर बार इस लिंग की परिक्रमा करती रहती हैं। ऐसे चमत्कार आपको देवभूमि में ही देखने को मिलेंगे।


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