उत्तराखंड की बेटी बनी देश के लिए मिसाल, शहर छोड़ा, गांव गई और रचा इतिहास
Jun 30 2017 12:10PM, Writer:मीत
हमने आपको कुछ वक्त पहले रंजना रावत की कहानी बताई थी। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की रहने वाली ये बेटी आज दुनिया के लिए मिसाल बन रही है। इस बेटी ने साबित किया है कि अगर इरादे मजबूत हैं तो मुश्किलें एक ठोकर में दूर हो जाती हैं। अब उत्तराखंड शासन द्वारा रंजना रावत को उत्तराखंड औद्योनिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार, पौड़ी गढ़वाल के प्रबन्ध परिषद् का सदस्य नामित किया गया है। रंजना ने इसके लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का आभार व्यक्त किया है। इसके साथ ही रंजना ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि वो सरकार और विश्वविद्यालय की अपेक्षाओं पर खरी उतर सकें। रंजना की कहानी भी काफी उतार चढ़ाव से भरी है। देवभूमि की इस बेटी को खुद पर भरोसा था। कदम बढ़ते गए, कारवां बनता गया और इस सफलता के सफर में कई लोगों का साथ मिलता रहा।
रुद्रप्रयाग जिले की रहने वाली रंजना रावत की मिसाल आज हर उत्तराखंडी दे रहा है। ये कहानी पढ़कर आपको एक प्रेरणा भी मिलेगी कि सिर्फ हाथ पर हाथ रखकर और रोजगार के लिए सरकार को कोसने से कुछ नहीं होता, कभी कभी खुद भी कदम उठाना पड़ता है। रंजना रावत रुद्रप्रयाग जिले के भीरी गॉव की रहने वाली हैं। शहर की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर रंजना गांवों के लिए चल पड़ी। गांव जाकर रंजना ने अमेरिकन सेफ्रॉन उगाई। अमेरिकन सेफ्रॉन कोई छोटी मोटी चीज नहीं है। इसकी बाजार में कीमत 1 लाख रुपये किलोग्राम है। इसकी फसल को अक्टूबर में लगाया जाता है। आखिरकार रंजना की ये मेहनत रंग लाई, उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए दुनिया को बताया कि असल जिंदगी की शुरुआत गांवों से ही होती है। रंजना आज ग्रामीण स्वरोजगार मिशन के तहत कई बेरोजगारों को उन्नत खेती के गुर सिखा रही है।
इसके साथ ही रंजना ने मशरूम की खेती भी की है। इस तरह से रंजना रावत ने उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीदों को नया आयाम दिया है। इसके साथ ही स्वरोजगार की नई नीति को पंख लगा दिए हैं। इसके साथ ही खास बात ये है कि रंजना स्ट्रॉबेरी की खेती भी कर रही हैं। यूं तो स्ट्रॉबेरी की खेती जमीन पर ही होती है, लेकिन रंजना के गांव में इसे पाइप और बोतलों के जरिये हवा में टांग के किया जा रहा है। इसका फायदा ये है कि स्ट्रॉबेरी पर मिट्टी नहीं लगती। ये स्ट्रॉबेरी टॉप क्वॉलिटी की है। इसके अलावा रंजना ने अपने गांव में कई और साग सब्जियां भी उगाई हैं। आलम ये है कि रंजना आज सफलता की एक नई कहानी लिख रही हैं। दूर दूर से लोग खेती के बारे में जानकारी लेने के लिए रंजना के पास पहुंच रहे हैं। रंजना के इन प्रयासों की वजह से उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। आज रंजना ने उ्तराखंड के तमाम युवाओं को एक सीख दी है।