image: Story of moosi devi

देवभूमि की इस ‘मां’ को सलाम, बेटे की शहादत से टूटी नहीं और किया ‘शेरनी’ वाला काम

Jul 5 2017 4:39PM, Writer:कैलाश

उत्तराखंड वीरों की भूमि है। इस धरती ने देश को ना जाने कितने ऐसे वीर दिए हैं, जिन्होंने अपनी जान की फिक्र किए बिना देश के लिए कुर्बानी दे दी। आज हम आपको उत्तराखंड की एक मां की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी पढ़कर आप बार बार उन्हें सलाम करेंगे। ये कहानी अगर आप इस वक्त पढ़ रहे हैं तो एक बार शेयर जरूर करें। दुनिया को ये पता चलना चाहिए कि उत्तराखंड की ‘मां’ किसी शेरनी से कम नहीं। दिल में आंसुओं का सैलाब अभी खत्म नहीं हुआ था। लेकिन फिर ऐसा कदम उठा दिया कि दुनिया इस मां को सलाम कर रही है। मूसी देवी की हम बात कर रहे हैं। देहरादून की हाथीबड़कला की रहने वाली हैं मूसी देवी। अपने जीवन के सौ साल पूरे करने जा रही है ये वीर मां। साल 1987 में मूसी देवी का बेटा सियाचिन में शहीद हो गया था। इसके बाद तो वो काफी टूट गई थी। लेकिन मन में एक बात घर कर गई। चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन अपने पोते को सेना में भेजना है।

दुश्मनों के दांत खट्टे करने हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मूसी देवी के पति भी कभी सेना में काम करते थे। मूल रूप से मूसी देवी कर्णप्रयाग की रहने वाली हैं। मूसी देवी के चार बेटे हैं। सबसे बड़े बेटे दर्शन सिंह सेना से रिटायर हो चुके हैं। सबसे छोटे बेटे मोहन सिंह साल 1987 में सियाचीन में शहीद हो गए थे। बेटा शहीद हुआ तो मूसी देवी टूटी नहीं। उन्होंने अपने पोते को सेना के लिए तैयार किया। दादी के नक्शे कदम पर पोता चला, तो आज सेना में है। आप सोच सकते हैं कि किसी मां का बेटा सेना में भर्ती होकर देश के लिए कुर्बान हो जाए तो उस मां पर कैसी बीतती है। लेकिन मूसी देवी ने कभी हार नहीं मानी। साबित कर दिया कि देवभूमि वीरों की भूमि भी है। मूसी देवी की आंखों में वो पल आज भी घूमता है, जब बेटे ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। लेकिन मजाल है कि इनके हौसले को कोई डगमगा पाए। मन में एक बार ठान ली तो ठान ली। जिद थी कि पोता सेना में ही जाएगा।

चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े। आज ये बात भी सत्य है कि उत्तराखंड वीरों की जन्मभूमि है। यहां के वीरों की कहानियां आपको बार बार देश की रक्षा करने के लिए प्रेरित करती हैं। हर बार लगातार इस भूमि ने देश को ऐसे ऐसे वीर दिए, जो अपनी कुर्बानी की कहानी देश के सीने पर लिख कर चले गए। धन्य हैं ऐसी मां जो ऐसे वीर पैदा करती हैं, धन्य हैं ऐसी मां जिन्हें देशहित अपने परिवार के हित से ज्यादा बड़ा लगता है। ऐसी मां को बार बार सलाम करने का मन करता है। हम एक बार फिर से आपसे आग्रह करते हैं कि देवभूमि की इस मां की कहानी को लोगों को तक पहुंचाइए। ताकि देश जान सके कि देवभूमि अगर अपनी संस्कृति के लिए दुनिया में जानी जाती है तो ये ही वो देवभूमि है, जहां ऐसी वीरांगनाएं पैदा होती हैं, जो राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देती हैं। चाहे फिर वो अपना बेटा या फिर पोता ही क्यों ना हो। सलाम है ऐसी मां को। राज्य समीक्षा की टीम की ओर से मूसी देवी को शत-शत प्रणाम।


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