image: Storu of jangam baba tample in uttarakhand

जय उत्तराखंड: यहां अद्भुत पूजा देख अंग्रेज हुए थे हैरान, मंदिर के लिए दी 1 बीघा जमीन !

Jul 17 2017 5:06PM, Writer:शैलजा

देवभूमि यानी उत्तराखंड। अपने रहस्यों को को समेटे ये धरती दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है। इस धरती के बारे में कहा जाता है कि आप कुछ दिन यहां गुजारेंगे तो खुद को सच में देवों के बीच पाएंगे। उत्तराखंड के बारे में कहा जाता है कि आपको यहां हर कदम पर अलग ही चमत्कार देखने को मिलेंगे। आज हम आपको देवभूमि के एक और मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। ये मंदिर देहरादून में है। पलटन बाजार में मौजूद है श्री जंगम शिवालय, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना करीब 180 साल पहले हुई थी। बताया जाता है कि अंग्रेजों ने यहां पूजा होते देखी और इससे खुश हो गए थे। इसके बाद उन्होंने शिवालय के लिए बकायदा जमीन दी थी। इस शिवालय को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी संचालित करता है। कहा जाता है कि आज से करीब 180 साल पहले लिंगायत शैव संप्रदाय में दीक्षित जंगम बाबा ने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी।

जंगम बाबा पूजा पाठ कर रहे थे, तो अंग्रेजों ने उन्हें देखा। उस वक्त भारत पर अंग्रेजों का ही राज था। कहा जाता है कि पूजा पाठ को देखते हुए अंग्रेज काफी खुश हुए थे और एक बीघा जमीन उन्हें मंदिर के लिए दे दी थी। बाबा के नाम पर ही इस शिवालय का नाम श्री जंगम शिवालय पड़ा। मान्यता है कि श्री टपकेश्वर महादेव के जलाभिषेक करने के बराबर ही यहां फल मिलता है। जंगम शिवालय में हर दिन भगवान शिव के जलाभिषेक को हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। खास बात ये है कि सावन के महीने में यहां भक्तों की संख्या में इजाफा होता है। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगती है। सावन के हरेक सोमवार को शिव की विशेष पूजा और रुद्राभिषेक किया जाता है। जंगम शिवायलय के महंत का कहना है कि श्री टपकेश्वर महादेव की तरह ही श्री जंगम शिवालय के लिए भी श्रद्धालुओं में अपार आस्था है। भगवान शिव भक्तों की हर मुराद को पूरी करते हैं।

ये शिवालय ऐतिहासिक है और श्रद्धालु इसे मिनी टपकेश्वर भी कहते हैं। इस बार भगवान शिव का प्रिय मास सावन में 50 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है। खास ये कि सोमवार से इस माह की शुरुआत हुई है और समापन भी सोमवार को ही होगा। कहा जाता है कि ये काफी शुभ फलदायक है। 10 जुलाई से सावन की शुरुआत हुई और 7 अगस्त को रक्षाबंधन यानी सावन पूर्णिमा है। काफी सालों बाद इस बार सावन मास में पांच सोमवार है। खास बात यह कि वैधृति योग के साथ सावन प्रारंभ हो रहा है और आयुष्मान योग के साथ इस मास की समाप्ति हो रही है। सोमवार, सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इस लिए इस बार का सावन खास है। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवारी के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं। इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।


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