image: Story of golu maharaj in uttarakhand

उत्तराखंड में ही हैं ‘इंसाफ के देवता’, जहां मनुष्य के हर कर्म का हिसाब होता है !

Jul 21 2017 9:57AM, Writer:दीपिका

उत्तराखण्ड आज धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण जगह बन चुका है। अपने तीर्थो के कारण ही इसे देव भूमि पुकारा जाता है। उत्तराखंड के विशेष मंदिर और इन मंदिरों की कथाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। आज हम आपको एक और मंदिर के बारे में बाताने जा रहे हैं, जिन्हें इंसाफ का देवता कहा जाता है। इसके साथ ही इस मंदिर का एक बड़ा रिकॉर्ड है। दुनिया में किसी भी धार्मिक स्थल में इतनी घंटियां नहीं चढ़ाई गई हैं, जितनी इस मंदिर में चढ़ाई गई हैं। अल्मो़डा जिले में स्थित है गोलू देव का मन्दिर है। जरा जान लीजिए कि इस मंदिर में क्या होता है। इस मंदिर में भगवान द्वारा फरियादी की अर्जी पढ़ी जाती है और फिर हर मनोकामना पूरी की जाती है। इस मंदिर की मान्यता ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक में है। इसलिए यहां दूर देशों से भी सैलानी और श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में प्रवेश करते ही यहां अनगिनत घंटियां नजर आने लगती हैं।

इन घंटियों की संख्या कितनी है, ये आज तक मन्दिर के लोग भी नहीं जान पाए। आम लोगों में इसे घंटियों वाला मन्दिर भी पुकारा जाता है, जहां कदम रखते ही घंटियों की पक्तियां शुरू हो जाती हैं। अब आपको बताते हैं कि आखिर यहां इतनी घंटियां क्यों चढ़ाई जाती हैं। दरअसल यहां मन्नत पूरी होने पर घंटियां चढ़ाने की परंपरा है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां अनगिनत घंटियां है तो कितने अनगिनत लोगों की मनोकामनाएं पूरी हुई होंगी। ये घंटियां इस बात का सबूत हैं कि उत्तराखंड के गोलू महाराज हर किसी के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। इन घंटियों को मन्दिर प्रशासन बेचना या फिर दूसरे कार्य में इस्तेमाल नहीं करता। इन घंटियों को महादेव की धरोहर माना जाता है। मंदिर प्रांगण में जो घंटियां नजर आती हैं, असल में वो और भी ज्यादा है। एक बार मंदिर परिसर घंटियों से भर जाए तो उन्हें निकालकर सहेज कर रखा जाता है।

जिससे मंदिर में और घंटियां लगाने की जगह बनी रही। गोलू महाराज को उत्तराखण्ड में न्याय का देवता कहा जाता है। इनके बारे में मान्यता है कि जिसे धरती पर कहीं न्याय नहीं मिलता, उस गोलू महाराज के पास न्याय मिलता है। कोई इनके दरबार में अर्जी लगाये तो उससे तुरन्त न्याय मिल जाता है। यही वजह है कि मंदिर में अर्जियां लगाने की भी परम्परा है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए अर्जियां लिखकर यहां टांग जाते हैं, जिन्हें मन्दिर में देखा जा सकता है। कहा जाता है कि इन अर्जियों को खुद गोलू देवता पढ़ते हैं, उसके बाद भक्त की मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। इसलिए इस मन्दिर को अर्जियों वाला मन्दिर भी कहा जाता है। कुल मिलाकर कहें तो उत्तराखंड का ये वो मंदिर है, जहां आज के असली न्यायाधीश बैठते हैं। कहते हैं कि जिसने जो काम किया है, उसे उसके काम का फल इसी जन्म में मिलता है। गोलू देवता इस बात का फैसला करते हैं कि किसे दंड देना है और किसे ईनाम देना है।


  • MORE UTTARAKHAND NEWS

View More Latest Uttarakhand News
  • TRENDING IN UTTARAKHAND

View More Trending News
  • More News...

News Home