पहाड़ों में बसा है देवी मां हैरतंगेज मंदिर, यहां मां को पसीना आए तो समझिए वरदान है !
Jul 27 2017 9:34PM, Writer:नीतीश
आज हम आपको देवभूमि के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां कोई भी जाता है तो हैरान हो जाता है। देवों की भूमि हिमाचल में बसा है भलेई माता मंदिर। यूं तो देवों की इस भूमि में कदम कदम पर आपको कई रहस्य और कई चमत्कार दिखेंगे। लेकिन आज जिस मंदर के बारे में हम आपको बता रहे हैं, वो भलेई माता का मंदिर है। ये मंदिर भी अपने चमत्कारों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। अब आपको बताते हैं कि किस तरह से ये मंदिर चमत्कारों से भरा पड़ा है। िस बारे में आपका जानना भी जरूरी है। हिमाचल के चम्बा जिले में ये मंदिर बसा हुआ है। स्थित प्रसिद्ध देवीपीठ भलेई माता के मंदिर की बात जरा हटके है। स्थानीय लोगों की इस मंदिर के प्रति बेहद आस्था भी है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां देवी माता की जो मूर्ति है, उसे पसीना आता है। लोग ये भी मानते है कि जिस समय देवी की मूर्ति को को पसीना आता है, उस वक्त ही श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।
इस मंदिर की कहानी भी विचित्र है। इसके बारे में कहा जाता है कि भलेई में ही देवी माता प्रकट हुई थीं। उसके बाद इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवाया गया था। तब से लेकर अब तक यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्रद्धालु इस इंतजार में रहते हैं कि आखिर कब देवी माता की मूर्ति को पसीना आएगा। इस तरह से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि दिन में एक बार जरूर माता की मूर्ति को पसीना आता है। कुल मिलाकर कहें तो देवभूमि सच में चमत्कारों की धरती है। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में चंबा जिले से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर शक्तिपीठ भलेई माता का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। माता रानी को यहां पर भलेई को जागती ज्योत के नाम से भी पुकारते हैं। यहां पर पूरे साल ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है। इस मंदिर के स्थापना के बारे में कहा जाता है कि भ्राण नामक स्थान पर एक बावड़ी में यह माता प्रकट हुई थीं।
उस समय उन्होंने चंबा के राजा प्रताप सिंह को सपने में दर्शन देकर उन्हें चंबा में स्थापित करने का आदेश दिया था। राजा जब मां की प्रतिमा को लेकर जा रहे थे तो उन्हें भलेई का स्थान पसंद आ गया। इस पर माता ने पुन: राजा को स्वप्न में वहीं भलेई में स्थापित करने को कहा। स्वप्न में मां द्वारा दी गई आज्ञा के अनुसार राजा ने मां की वहीं पर एक मंदिर बनवाकर देवी प्रतिमा को स्थापित करवा दिया। शुरु में कुछ समय महिलाओं का प्रवेश वर्जित रखा गया लेकिन समय के साथ यह परंपरा खत्म हो गई और वर्तमान में सभी लोग बिना किसी तरह के भेदभाव के मंदिर में दर्शन करते हैं। अपने दर्शनों के लिए आने भक्तों की मां इच्छा अवश्य पूरी करती है। नवरात्रों के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं। स्थानीय मान्यता है कि अगर मन्नत मांगते समय मां की मूर्ति पर पसीना आ जाए तो भक्तों की मुराद अवश्य पूरी होती है। ऐसे में भक्त यहीं पर बैठकर मां की मूर्ति पर पसीना आने का घंटों इंतजार किया करते हैं क्योंकि पसीने के समय जितने भक्त मौजूद होते हैं उन सबकी मुराद पूरी हो जाती है।