image: Silla shaneshwar temple in uttarakhand

देवभूमि का वो शक्तिपीठ, जिस वजह से बद्रीनाथ में शंख नहीं बजता !

Aug 4 2017 9:40AM, Writer:आमोद

आज हम उत्तराखंड की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये जगह उत्तराखंड के अनछुए पहलुओं में से एक है। लेकिन ये जगह मां कूषमाण्डा के आशीर्वाद के लिए जानी जाती है। इसके साथ ही कहा जाता है कि यहां कुछ ऐसा हुआ था कि आज तक बद्रीनाथ में शंख नहीं बजता। जी हां कहा जाता है कि धरती पर ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जहां मा दुर्गा कूषमाण्डा अवतार में रहती हैं। मन्दाकिनी के पावन तट पर पर्वतराज हिमालय की गोद मे सिल्ला नामक स्थान पर शाणेश्वर का भव्य मन्दिर है। जन श्रुतियो और लोक कथाओं के आधार पर कहा जाय तो इस पुरातन स्थान पर शाणेश्वर महाराज की पूजा हुआ करती थी, लेकिन कालान्तर में इस स्थान पर दैत्यों का बोलबाला हो गया। कहा जाता है कि ये दैत्य नरभक्षी हुआ करते थे। जो भी पुजारी मन्दिर में पूजा करने जाता, ये दैत्य उसको अपना निवाला बना देते थे।

कहा जाता है कि जब देवता का मात्र एक पुजारी रह गया तो शक्ति के उपासक महात्मा अगस्त्य इस स्थान् पर चले आये। इसके बाद महर्षि अगस्त्य ने उस दिन की पूजा का दायित्व खुद ले लिया। जब महिर्षि अगस्त्य पूजा करने के बाद वापस आ ही रहे थे, तभी मायावी दैत्य प्रकट हो गये। इन्हे देखकर महिर्षि संकट में पड गये। अचानक वो अपनी कोख को मलने लगे और उस पराशक्ति का ध्यान् करने लगे जिसने ब्रह्मा विष्ण देवताओ को मधु और कैटव जैसे दैत्यों से अभय दान दिया था। महिर्षि अगस्त्य ने जैसे ही पराशक्ति का ध्यान किया तभी मां भगवती, कूषमान्डा के दिव्य रूप में प्रकट् हो गयी। कहा जाता है कि विविध आयतों से युक्त उस सिंह वाहिनी ने उसी वक्त दैत्यों का संहार किया। कहा जाता है कि इस दौरान आतापी और वातापी नाम के दो दो दैत्य भाग गये। इनमें से एक दैत्य बद्रीनाथ धाम में छिप गया।

तब से लेकर अाज तक बद्रीनाथ में शंख नहीं बजता। वजह है कि कहीं वातापी नाम का दैत्य ना जाए जाए। कहा जाता है कि दूसरा दैत्य सिल्ली की नदी में छिप गया। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां माता साक्षात रबप में निवास करती हैं। इसके साथ ही कहा जाता है कि जो भी भक्त यहां स्चे मन से मां की आराधना करता है, उसे उसका मनचाहा वरदान मिलता है। मां अपने भक्तों को कभी भी खाली हाथ नहीं जाने देती। सिल्ला शाणेश्वर में मंदिर की बनावट देखकर लगता है कि ये प्राचीन काल में किसी राजा द्वारा तैयार किया गया होगा। इसके साथ ही गांव के लोग इस मंदिर की साल भर आराधना करते हैं। कुछ भी नया काम करने से पहले मां को इस बारे में बता दिया जाता है। कहा जाता है कि मां ही लोगों के सारे कामों को सफल कर देती हैं। खैर अगर आप अब तक साणेशवर नहीं गए हैं, तो जिंदगी में एक बार जरूर इस मंदिर में जाएं।


  • MORE UTTARAKHAND NEWS

View More Latest Uttarakhand News
  • TRENDING IN UTTARAKHAND

View More Trending News
  • More News...

News Home