Video: उत्तराखंड में एक और चमत्कार, कहर के बीच कुदरत से जंग देखिए
Aug 6 2017 11:28AM, Writer:सुमित
उत्तराखंड में बारिश लगातार कहर बनकर टूट रही है। जहां तक नजर दौड़ाइए, वहां आपको बारिश से बर्बादी ही नजर आएगी। लगातार बारिश ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। बारिश का सबसे ज्यादा प्रकोप उत्तराखंड के 5 जिलों में देखने को मिला है। ये जिले हैं रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, नैनीताल और पिथौरागढ़। इन जिलों में बारिश का सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। आज हम आपको एक वीडियो दिखाने जा रहे हैं। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा वायरल किया जा रहा है। इसके साथ ही जो भी इस वीडियो को देख रहा है, वो हैकानी से दांतों तले उंगली दबाता जा रहा है। पौड़ी धार के पास जिला बागेश्वर का ये वीडियो है। वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह से भूस्खलन के चलते एक बस सड़क से नीचे की ओर चली जाती है।
बताया जा रहा है कि इस बस में करीब 30 यात्री सवार थे। हर किसी की जान खतरे में पड़ गई। बस मलबे के साथ पत्ते की तरह बहने लगी थी । लेकिन अचानक बस एक जगह पर रुक जाती है और फिर सभी यात्रियों को बचा लिया जाता है। आप भी जरूर ये वीडियो देखिए और हो सके तो इस खबर को ज्यादा ये ज्यादा शेयर भी कीजिए। उधर बारिश के चलते रामनगर के ढेला बैराज से पानी छोड़ने के कारण काशीपुर में बाढ़ आ गई। पानी के ज्यादा बहाव की वजह से कई बस्तियां जलमग्न हो गईं। खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा। उधर रामनगर के मालधनचौड़ स्थित ढेला बैराज से शनिवार रात छोड़े गए 35 हजार क्यूसेक पानी से नदी में बाढ़ आ गई। इससे काशीपुर में सैकड़ों एकड़ भूमि में खड़ी फसलें डूब गईं। कई बच्चे डूबने से बाल-बाल बचे।
मौसम में हो रहे बदलावों की वजह से हिमालयी इलाके में बारिश की मात्रा बढ़ती जा रही है। ये बारिश वनस्पतियों के लिए भले ही फायदेमंद हो, लेकिन पहले से ही कमजोर हिमालय क्षेत्र की पहाड़ियों को ये और ज्यादा कमजोर कर रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बारिश के बाद पहाड़ों के टूटने से कृतिम झीलें बन सकती हैं। उत्तराखंड में पिछले दो से तीन दशकों में बारिश की मात्रा बढ़ी है। ये बारिश पहाड़ियों को और ज्यादा कमजोर करने का काम कर रही हैं। ऐसे में इन पहाड़ियों के खिसकने और नदियों का बहाव रुकने से झीलें बनने का खतरा बढ़ गया है। साथ ही लगातार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ने से मैदानी क्षेत्रों में नदी किनारे पर बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं इसलिए लोगों के साथ ही स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने की जरूरत है। विभाग ने पहाड़ में चारधाम यात्रा भी सीमित करने की सलाह दी है।