image: daat kali mandir uttarakhand

उत्तराखंड का वो शक्तिपीठ, जहां भक्त नहीं जाते, ‘महाकाली’ खुद खींच लाती हैं !

Aug 8 2017 9:04AM, Writer:कपिल

उत्तराखंड यानी देवों की भूमि। हर जगह हर कदम पर आपको यहां ऐसे ऐसे देवस्थान मिलेंगे, जिनका पौराणिक और धार्मिक महत्व सबसे ज्यादा है। आज इसी कड़ी मनें हम आपको एक शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं। देहरादून के डाट काली मंदिर के बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा। लेकिन आज इस मंदिर की असल कहानी के बारे में भी जान लीजिए। आज हम आपको ये बताएंगे कि आखिर कब इस मंदिर का निर्माण हुआ, आखिर किस वजह से इस मंदिर का निर्माण हुआ और आखिर क्यों इस मंदिर का इतना धार्मिक महत्व है। डाट काली मंदिर हिन्दूओं को एक प्रसिद्ध मंदिर है जो कि सहानपुर देहरादून हाईवे रोड़ पर स्थित है। ये मंदिर पूरी तरह से मां काली के लिए समर्पित किया गया है। यहां एक मान्यता काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि यहां भक्तों को आना नहीं पड़ता बल्कि मां काली किसी बहाने से भक्तों को इपने पास खींच लाती हैं।

इस मंदिर को भगवान शिव की पत्नी देवी सती का अंश माना जाता है। मां डाट काली मंदिर को मनोकामना सिद्धपीठ और काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता डाट काली मंदिर सिद्धपीठों में से एक है। मां डाट काली मंदिर देहरादून के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तथा देहरादून शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 13 जून 1804 में किया गया था, जब वहां देहरादून सहानपुर राजमार्ग का निर्माण कार्य किया जा रहा था। अंग्रेजों को दून घाटी में प्रवेश करने के लिए इस मंदिर के पास सुरंग बनानी पड़ी। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी जब सुरंग का काम पूरा नहीं हुआ तो अंग्रेजों को भी डाट काली के दरबार में शीश नवाना पड़ा था। गोरखा सेनापति बलभद्र थापा ने यहीं पर भद्रकाली मंदिर की स्थापना की थी।

ऐसा माना जाता है कि मां काली एक इंजीनियर के सपने में आयी थी, जिन्होने मंदिर की स्थापना के लिए महंत सुखबीर गुसैन को देवी काली की प्रतिमा दी थी। जो आज भी घाटी के मंदिर में स्थापित है। इस मंदिर में एक दिव्य ज्योति जल रही है जोकि 1921 से लगातार जल रही है। यहां के आस पास के लोग जब भी कोई नया वाहन खरीदते है इस मंदिर में पूजा के लिए मां डाट काली मंदिर में आते है। इसलिए जो भी व्यक्ति यहां से जाता है मां काली का आर्शीवाद जरूर लेता है और मंदिर में तेल, घी, आटा व अन्य वस्तु चढाता है। इस मंदिर में एक बडा हाॅल भी है जहां पर लोग आराम भी कर सकते है। नवरात्र के त्योहार के अवसर पर यहां बहुत बड़ी संख्या में लोग आते है, कभी कभी तो राजमार्ग को भी बन्द करना पडता है। नवरात्री के त्योहार के अवसर पर यहा भंडारा भी किया जाता है जहां लोग इसे मां काली का आर्शीवाद मानकर ग्रहण करते है।


  • MORE UTTARAKHAND NEWS

View More Latest Uttarakhand News
  • TRENDING IN UTTARAKHAND

View More Trending News
  • More News...

News Home