image: Above 100 people hurt in devidhura bagwal

Video: देवभूमि का ये वीडियो देखकर दुनिया सन्न, इस बार 100 से ज्यादा लोग घायल

Aug 8 2017 12:25PM, Writer:कपिल

उत्तराखंड में आपको कदम कदम ऐसी बातें सुनने और देखने के लिए मिलेंगी कि आप भी एक बार के लिए हैरानी के सागर में गोते लगाते रहेंगे। तुछ वक्त पहले हमने आपको देवीधुरा के मेले के बारे में बताया था। रक्षाबंधन पर देवीधुरा में एक मेले का आयोजन होता है। मां बाराही के मैदान पर एक बार फिर से दुनिया का सबसे रोमांचक खेल खेला गया है। इस धार्मिक त्योहार में चार टीमों के लोग एक दूसरे पर फल बरसाते हैं। कहा जाता है कि पहले तो पत्थर फेंके जाते थे। लेकिन हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब फल फेंके जाते हैं। इस बार ये बग्वाल 7 मिनट तक चली। चारो टीमों के आठ दर्जन से ज्यादा रणबांकुरे घायल हुए। बग्वाली वीरों में उत्साह ऐसा रहा कि बग्वाल बंद होने का शंखनाद होने के बाद भी वो दो मिनट तक रण में डटे रहे। इस अद्भुत और अलौकिक दृश्य के एक लाख से ज्यादा लोग गवाह बने।

सुबह से मां बाराही धाम देवीधुरा में झमाझम बारिश होती रही। बग्वाल देखने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा देश-दुनिया से लोग पहुंचे। दोपहर करीब डेढ़ बजे बाद बग्वाली वीर खोलीखांड़ दूबाचौड़ मैदान में जमा होने शुरू हो गए। सबसे पहले वालिक टीम के लोग बद्री सिंह बिष्ट के नेतृत्व में मैदान में पहुंचे। इसके बाद चम्याल टीम के लोग गंगा सिंह के नेतृत्व में आए। इसके बाद लमगड़िया टीम फिर गहरवाल टीम के त्रिलोक सिंह बिष्ट के नेतृत्व में बग्वाली वीर मैदान में पहुंचे। सभी टीमों के बग्वालीवीरों ने मां के गगनभेदी जयकारों के साथ मंदिर और मैदान की परिक्रमा की। बारिश के बीच दोपहर 2:42 बजे बग्वाल शुरू हुई और 2:49 तक चली। इसके बाद मंदिर के पुजारी मैदान में पहुंचे और शंखनाद किया। लेकिन बग्वाली वीरों का उत्साह किसी भी हाल में कम नहीं हुआ।

बग्वाली वीर दो मिनट और पत्थर और फल बरसाते रहे। बग्वालीवीरों के साथ ही बग्वाल देखने पहुंचे लोग रोमांच से भर उठे। बग्वाली रण के दौरान 100 से ज्यादा रणबांकुरों समेत कुछ दर्शक भी घायल हो गए। सभी का प्राथमिक उपचार पीएचसी देवीधुरा और मंदिर में बने चिकित्सा कक्ष में किया गया। कहा जाता है कि पहले यहां नरबलि दी जाती। इस वजह से वंश ही खत्म होने लगे थे। एक बुजुर्ग महिला ने मां बाराही की दिन रात पूजा आराधना शुरू कर दी। उस महिला की पूजा से मां प्रसन्न हो गईं और नरबली की जगह दूसरा विकल्प दिया। जिसमें चारों खामों के लोगों ने मां के आदेश के बाद पत्थर से बग्वाल खेलनी शुरू कर दी। इस बग्वाल में एक व्यक्ति के शरीर के बराबर रक्त बहता है। मां बाराही किसी का भी रक्त नहीं लेती हैं, लेकिन उनका गण कलवा बेताल ये रक्त लेता है।


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