उत्तराखंड का शेर बना ‘भारत विजय’ का नायक, ‘पहाड़ी दम’ से डोकलाम हारा चीन !
Aug 29 2017 5:22PM, Writer:सुरेश
साल 2017, तारीख 16 जून , अचानक खबर आई कि डोकलाम में चीन अपनी हरकत दिखाने लगा है। चीन की सेना ने भूटान में सड़क बनानी शुरू कर दी। विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ और भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को वापस भगा दिया। 16 जून का दिन था और उसके बाद से लगातार ये विवाद बढ़ता गया। चीन ने कहा कि वो अपने इलाके में सड़क बना रहा है तो भूटान ने कहा कि चीन उनके इलाके में सड़क बना रहा है। वहीं पीएम मोदी ने कहा कि जिस इलाके में चीन सड़क बनाने के तैयारी कर रहा है, वो भारत की सामरिक दृष्टि के लिहाज से बेहद ही संवेदनशील क्षेत्र है। 16 जून से डोकलाम छावनी बन गया था। इसके बाद 29 अगस्त को खबर आई कि चीन अपनी सेना डोकलाम से वापस हटा रहा है। अचानक ऐसा क्या हो गया था कि चीन को अपनी सेना हटानी पड़ी।
दरअसल 16 जून से 29 अगस्त के बीच एक और तारीख पड़ी थी 27 जुलाई। ये वो दिन था जब मोदी का सबसे बड़ा सिपहसलार चीन को चेतावनी देने के लिए उसी की सरजमीं पर गया था। वो नाम है अजीत डोभाल। जी हां उत्तराखंड का ये शेर चीन की सेना को वापस भेजने का सबसे बड़े सूत्रधार हैं अजीत डोभाल। ये डोभाल का ही तेजतर्रार दिमाग था कि चीन को वापस जाना पड़ा। 27 जुलाई 2017 को डोकलाम के मुद्दे को सुलझाने के लिए डोभाल चीन गए। चीन में सुरक्षा सलाहकार और स्टेट काउंसलर यांग जिएची से डोभाल ने मुलाकात की। ब्रिक्स के कार्यक्रम के दौरान ये मुलाकात हुई थी। डोभाल पर देश को पूरा भरोसा था कि ये शख्स वहां से कोई बड़ा काम करके ही लौटेगा। डोभाल वापस लौटे तो कुछ नहीं बोले। वो खुशी खुशी इस पूरे खेल को देख रहे थे। डोभाल के आने के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी विश्वास का भाव देखा जा रहा था।
भारत ने तुरंत कह दिया कि किसी भी हाल में डोकलाम से भारतीय सेना वापस नहीं हटेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन को बैकफुट पर लाने का काम डोभाल ब्रिक्स समिट में ही कर चुके थे। चीन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि भारतीय सेना उससे बेहतर पोजीशन में है। ऐसे में अगर एक भी इशारा हुआ तो भारतीय सेना की गोली का निशाना नहीं चूकता। इस वजह से चीन लगातार भारत को धमकियां देने के अलावा कुछ भी नहीं कर रहा था। डोभाल ने इतना भरोसा जरूर दे दिया था कि चीन को पीछे हटना ही पड़ेगा। ब्रिक्स समिट के दौरान डोभाल ने शी जिनपिंग से भी मुलाकात की थी। तब से ये अनुमान लगाए जा रहे थे कि डोकलाम विवाद में थोड़ी नरमी आ सकती है। आखिरकार वो वक्त आ ही गया और चीन जैसे ताकतवर मुल्क को अपनी सेना डोकलाम से हटानी पड़ी। ये है पहाड़ी शेर का दम।