उत्तराखंड में है वो चमत्कारी मंदिर, जहां आवाज देने पर चली आती है पानी की धारा
Aug 30 2017 6:36PM, Writer:कपिल
जोशीमठ में हिमालय के अंचल में भगवान फूल्या नारायण का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा साल भर में केवल डेढ़ से दो महीने तक होती है। खासकर सावन महीने की संक्रांति से नंदा अष्टमी तक ये पूजा की जाती है। उसके बाद इस मंदिर के कपाट एक साल के लिए बंद कर दिए जाते है। यहां सालों से ये परंपरा चली आ रही है।खास बात ये है कि भर्की ओर भैठा के क्षत्रिय परिवारो के द्वारा हर साल यहां पूजा की जाती है। अब आपको इस मंदिर के बारे में एक कहानी बताएंगे तो आप हैरान रह जाएंगे। कहा जाता है कि एक बार स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी इस घाटी में फूल लेने पहुंची थीं। उसी वक्त उर्वशी को यहां भगवान विष्णु विचरण करते दिखे। उर्वशी ने फूलों से बनी माला भगवान विष्णु को भेंट की। तबसे कहा जाता है कि यहां पर महिलाओं द्वारा से मंदिर मे भगवान विष्णु जी का श्रृंगार किया जाता है।
उत्तराखण्ड में ये देश का पहला मंदिर है, जहां श्रृंगार के लिए महिलाओं की नियुक्त की जाती है। यहां पर नारायण के लिए तीनों पहर घी, सत्तू, मक्खन, बाड़ी और दूध का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा इस मंदिर में भगवान जाख राजा और माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है। कहा जाता है कि यहां एक बार अमेरिका से वैज्ञानिकों और रिसर्चर का दल भी रिसर्च करने आया था। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने खुद ही इस जगह को अद्भुत शक्तियों का स्थल कहा था। यहां मंदिर की पूर्व दिशा मे यज्ञ कुंड है। जहां अखंड धुनी जलती रहती है। कहा जाता है कि मंदिर के कपाट बंद हो जाएं, तभी भी यहां अखंड धुनी जलती रहती है। खास मौकों पर मंदिर में क्षेत्रीय जागर वेताओं द्वारा जागर लगाए जाते हैं। मंदिर परिसर में पानी पहुंचाने की भी एक अनूठी परंपरा है। जल स्रोत के पास जाकर पहले जल देवता को पूजा जाता है।
पूजा करने के साथ-साथ देवताओं को आवाज लगाई जाती है ओर दूध से बना भोग दिया जाता है। कहा जाता है कि बस उसके बाद मंदिर परिसर में कल–कल की ध्वनि के साथ पानी खुद ही पहुंच जाता है। मंदिर के पास ही भगवान विष्णु की फूलों की क्यारियां हैं। इन क्यारियों से फूल तोड़कर ही भगान के लिए माला बनाई जाती है। यहां पहुंचने के लिए बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के हेलंग से पैदल यात्रा शुरु हो जाती है। आप चार किलोमीटर का सफर करेंगे तो आपको पंचकेदार में से एक केदार भगवान कल्पेश्वर महादेव के दर्शन होते हैं। यहां से फूल्या नारायण मंदिर 4 किलोमीटर दूर है। कल्पेश्वर मंदिर से 2 किलोमीटर आगे भिगरख्वै जल प्रपात है। इस जल प्रपात से दूध जैसी धारा निकलती है। इस जल प्रपात की चमकती बूंदें आपको एक नया एहसास दिलाएंगी। इसके बाद खड़ी चढ़ाई शुरू होती है और तब आपको भगवान फूल्या नारायण के दर्शन होते हैं।