image: Story of rama prasad ghildiyal

उत्तराखंड के इस लेखक के आगे ‘प्रेमचंद’ हुए थे नतमस्तक, पहाड़ के सपूत को शत शत नमन !

Sep 2 2017 6:44PM, Writer:कपिल

उपन्यासकार लेकिन दिल से पहाड़ी, कथाकार या यूं कहें कि रचनाकार लेकिन सिर्फ पहाड़ के लिए। ये उत्तराखंड का एक ऐसा रचनाकार था, जिनकी कहानियों से खुद प्रेमचंद भी प्रभावित थे। इन सबके बाद भी रमा प्रसाद घिल्डियाल को हिन्दी साहित्य में वो जगह नहीं मिली, जिसके वो असल हकदार थे। उनकी मर्मस्पर्शी कहानियां बेहद ही लोकप्रिय थी। इन कहानियों में जिनमें जीवन मूल्य, पहाड़ का संघर्ष और युद्ध के दु​ष्परिणामों की झलक मिलती है। एक अगस्त 1911 को पौड़ी के बड़ेथ में रमा प्रसाद घिल्डियाल का जन्म हुआ था। इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में शामिल होने के लिये 1927 में 12वीं करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उसी साल उनकी पहली कहानी कलकत्ता से प्रकाशित पत्रिका 'सरोज' में छपी थी। अगले 50 सालों तक वो अपनी रचनाएं लिखते रहे। इनमें से उनके 19 कहानी संग्रह और तीन उपन्यास पब्लिश हुए थे।

घिल्डियाल जी गढ़वाली में भी लिखते थे। उत्तराखंड के ग्रामीण जीवन पर लिखने वाले वो पहले कथाकार थे। इसके साथ ही वो 'स्टेट्समैन', 'अमृत बाजार पत्रिका' और 'टाइम्स आफ इंडिया' के संवाददाता भी रहे। 1940 में वो लखनऊ में आकाशवाणी से जुड़े। स्वतंत्रता आंदोलन में भी इन्होंने बड़ी भूमिका अदा की थी। 30 अक्टूबर 1997 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। इनकी रचनाएं अधूरा चित्र , बया का घोंसला , सफर , बड़े भैजी, शेषनाग की थाती, पहाड़ की प्रेम कहानियां जैसी रचनाएं आज भी हिंदी साहित्या के लिए मील का पत्थर साबित होती हैं। इसके अलावा उन्होंने तीन उपन्यास लिखे। इनमें निर्देशक, सराय और चलचित्र जैसे उपन्यासों को लोगों ने काफी पसंद किया था। नेशनल बुक ट्रस्ट में रमा प्रसाद घिल्डियाल जी की 18 कहानियों का संकलन प्रकाशित किया गया है। वरिष्ठ लेखक डाक्टर गंगा प्रसाद विमल ने इन कहानियों को संकलित किया।

रमा प्रसाद घिल्डियाल एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने अपने साथ पर्वतीय जीवन के नए द्वार खोले। पाठकों को मौलिक साहित्य दिया। स्त्री पुरूष संबंधों को उन्होंने कलम के जरिए बेहतरीन तरीके से उकेरा है। अधूरा चित्र एक ऐसी कहानियोौं का संकलन है, जिसे पढ़ने के बाद कालजयी लेखक प्रेमचंद्र काफी तारीफ की थी। इसके अलावा उनके द्वारा लिखा गया कहानी संकलन छोटा देवर पहाड़ पर आधारित है। छोटा देवर में एक संवाद है, 'तेरी ब्वारी तो राणी बौराणी लग रही थी। मैं गिताड़ होता तो तुम पर गीत लिखता'। कवि शमशेर बहादुर कहते हैं कि रमा प्रसाद घिल्डियाल जी ने नई भाषा का सृजन किया है। उनकी शैली एकदम अलग थी। उत्तराखंड के कई ऐसे लेखक और रचनाकार हुए हैं, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के मानचित्र पर उत्तराखंड को अलग स्थान दिया था। उनमें से रमा प्रसाद घिल्डियाल जी भी एक थे। पहाड़ के इस कालजयी रचनाकार को राज्य समीक्षा का शत शत नमन


  • MORE UTTARAKHAND NEWS

View More Latest Uttarakhand News
  • TRENDING IN UTTARAKHAND

View More Trending News
  • More News...

News Home