देहरादून में कितने ‘वाला’ ? हर ‘वाला’ का अपना इतिहास, 2 मिनट में जानिए
Sep 10 2017 2:08PM, Writer:कपिल
देहरादून में जब भी आप जाते हैं तो ये सोचकर ही दंग रह जाते हैं कि आखिर यहां कितने वाला हैं ? लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां हर वाला के पीछे कोौई एक कहानी छिपी है। कुछ वाला ऐसे हैं जिनके नाम उस स्थान विशेष की किसी विशेषता या महत्ता या स्थानीय संस्कृति के अनुसार रखा गया है। जैसे तुनवाला के बारे में हम आपको बता रहे हैं। यहाँ कभी तुन के वृक्ष बहुत अधिक संख्या में पाए जाते थे। इसलिए इस जगह को तुनवाला कहा जाने लगा। आप आज के दौर में भी यहां तुन के वृक्ष देख सकते हैं। अब बात करते हैं डोईवाला की। कहा जाता है कि एक जमाने में ये स्थान लकड़ी से बनी करछुल अथवा डोइयों के लिए प्रसिद्द था। यहां दूरदराज के लोग डोईयों की खरीदारी करने आते थे। माना जाता है कि इस वजह से ही यहां का नाम डोईवाला पड़ा। अब जरा बाहमण वाला के बारे में भी जानिए।
माजरा से पहले आई टी आई के ठीक सामने वाले मार्ग पर बसे बाहमण वाला में एक समय अनेकों ब्राह्मण परिवार बसा करते थे। इन ब्राह्मणों को पूजा और अनुष्ठान के बुलाया जाता था। कहा जाता है कि इस वजह से इसे ब्राह्मणवाला कहा गया। रांगडवाला की बात करते हैं। रांगड़ एक प्रकार का चावल होता है जो कभी पंजाब में उगाया जाता था, इस क्षेत्र में पहले इसी चावल की खेती बहुतायत में होती थी इसलिए इसे रांगडवाला कहा जाने लगा। बड़ोवाला की बात करें तो एक वक्त इस क्षेत्र में बड़ के वृक्ष पाए जाते थे। कहा जाता है कि इस वजह से ही यहां का नाम बड़ोवाला पड़ा। इसी तरह से अलग अलग "वालों" से जुडी स्थानीय किवदंतियां जड़ी हैं। कुछ जगहों का नाम किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर रखा गया होगा।
कुछ जगहों को फलों की वजह से रखा गया होगा। जैसे आम वाला, अनारवाला इसका उदाहरण भी हैं। कुछ ऐसे भी नाम होते हैं जो गलत उच्चारण के चलते वक्त के साथ साथ बदल दिए जाते हैं। जिसे आज के दौर में फ़ालतू लाइन कहा जाता है, वो नाम कभी फालतू लेन था। वर्तमान के गुच्चू पानी को भी पहले गुप् चुप पानी कहा जाता था। सेलाकुई के लिए कहा जाता है कि "सेला" का मतलब ठंडा और कुई का मतलब छोटा कुंआं होता है, इन्ही दो शब्दों को जोड़ें तो सेलाकुई बनता है। माना जाता है कि कभी ठन्डे पानी की अनेकों कुइंयाँ यहां रही होंगी। देहरादून अपनी मान्यताओं और अपनी सभ्यताओं की वजह से दुनिया के मानचित्र पर अलग ही छाप छोड़ता है। इस वजह से इसे सिटी ऑफ लव भी कहा जाता है। कल मिलाकर कहें तो इसका इतिहास भी गौरवशाली रहा है।