देवभूमि की वो जगह, जहां अयोध्या से आए भगवान राम, ब्रिटिश शासकों ने कहा स्वर्ग
Sep 11 2017 8:25AM, Writer:सुरेश
उत्तराखंड के लए कहा जाता है कि यहां हर कदम पर रहस्यों का भंडार है। राज्य समीक्षा के हर लेख में हम कोशिश करते हैं कि आप तक एक नई और अच्छी जानकारी उत्तराखंड के बारे में लेकर आएं। इसी कड़ी में हम आपको आज एक और दिव्य जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। वो जगह जहां भगवान राम तप करने आए थे। कहा जाता है कि भगवान राम और रावण की सेना के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ था। इस युद्ध में असत्य पर सत्य की जीत हुई थी। रावण की लंका को भगवान राम ने ध्वस्त कर दिया था। लेकिन इस युद्ध में भगवान के हाथों कई हत्याएं हुई थी। इनमें से ब्रह्महत्या भी थी। दरअसल रावण जाति से ब्राह्मण था। इस ब्रह्महत्या और जीव हत्या के बाद भगवान राम काफी दुखी हो गए। इसलिए अपने पापाों की मुक्ति के लिए के लिए मर्यादा परुषोतम को महादेव की शरण में उत्तराखंड आ गए।
महादेव को भगवान राम अपना आराध्य मानकर पूजते थे। शास्त्रों में जिक्र किया गया है कि भगवान राम जीव हत्या से मुक्ति के लिए उत्तराखंड के तुंगनाथ आए थे। भगवान राम तुंगनाथ से डेढ़ किलोमीटर ऊपर चंद्रशिला गए थे और वहां कठोर तप किया था। महादेव को वैसे भी सभी पापों का तारण हार कहा जाता है। कहा जाता है कि यहीं देवाधिदेव-महादेव ने भगवान राम को जीव हत्या के पापों से मुक्त किया था। भगवान राम ने इस स्थान को धरती के सबसे पवित्र स्थानों में कहा था। आप समझ सकते हैं कि उत्तराखंड की भूमि को क्यों देवताओं का निवास कहा जाता है। ये तो हुई उस युग की बात अब आपको इस युग के बारे में भी बता देते हैं। वक्त के साथ साथ तुंगनाथ और चोपता की नैसर्गिग सौंदर्यता बढ़ती गई। इस जगह की खूबसूरती आज आंखों को एक पल के लिए पलक झपकाने नहीं देती।
चोपता को मिनी स्विटजरलैंड कहा जाता है। ब्रिटिश शासनकाल में कमिश्नर एटकिन्सन ने कहा था कि जिसने अपने जीवन में चोपता नहीं देखा, उसका जीवन व्यर्थ है। आप समझ सकते हैं कि इस जगह की महत्ता और खूबसूरती का किस तरह से दुनिया ने बखान किया है। आज बॉलीवड की कई हस्तियां भी यहां आ चुकी हैं। जो भी इस जगह को देखता है, बरबस हैरान रह जाता है। लेकिन आज सबसे बड़ी समस्या ये है कि लोग यहां आकर इस पवित्र स्थान को गंदा करने से नहीं चूकते। यहां लोग आकर प्लास्टिक और कचरा फेंककर चले जाते हैं। धीरे धीरे इस वजह से ये जगह अपना अस्तित्व खोती जा रही है। स्थानीय नेताओं और प्रशासन को इस जगह की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे, जिनकी आज के दौर में काफी जरूरत है।