Video: उत्तराखंड में रहस्यमयी आत्माओं का गांव, जहां 1952 में हुई दर्दनाक घटना, देखिए वीडियो
Sep 13 2017 5:11PM, Writer:kapil
उत्तराखंड की धरती जहां कदम कदम पर आपको रहस्यों की एक दुनिया का सामना करना पड़ता है। हर वक्त, हर कदम आपको कुछ ऐसी बातें दिखेंगी कि रौंगटे खड़े हो जाते हैं। एक शोध कहता है कि अगर दुनिया में पॉजिटिव एनर्जी है तो कहीं ना कहीं नेगेटिव एनर्जी है। अगर दुनिया में भगवान का अस्तित्व है तो इस बात में कोई शक नहीं कि बुरी आत्माओं का भी अस्तित्व है। अच्छा, बुरा, सच, झूठ, पॉजिटिव, नेगेटिव, कर्म, दुष्कर्म ऐसे ही सिद्धातों पर विज्ञान भी काम करता है। ये बात भी आप जानते होंगे कि दुनिया के कई मुल्कों मुल्कों में पैरानॉर्मल एक्टिविटी का भी अध्ययन होता है। ये पैरानॉर्मल एक्टिविटी ये साबित करती है कि कुछ तो है, जो हमारे आस पास है और हमें दिखता नहीं। आपने राजस्थान के कुलधरा गांव के बारे में भी सुना होगा, जहां कोई नहीं रहता और कहा जाता है कि यहां बुरी आत्माओं का वास है। लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड के एक गांव की दास्तान बता रहे हैं।
हालांकि ये 21 वीं सदी है और विज्ञान की सदी है, इसलिए हम भी पुष्टि नहीं करते कि सच में उत्तराखंड के इस गांव में रहस्यमयी आत्माएं रहती हैं। लेकिन कुछ बातें ये मानने के लिए मजबूर भी करती हैं। उत्तराखंड के चंपावत जिले में मौजूद स्वाला गांव। इस गांव को लेकर भुतहा गांव कहते हैं। कहा जाता है कि कभी इस गांव में काफी चहल पहल हुआ करती थी। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि इस गांव को शापित गांव कहा जाने लगा। जरा ये कहानी पढ़िए। कहा जाता है कि स्वाला गांव के पास 1952 में पीएसी की एक बटालियन की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। गाड़ी के अंदर फंसे जवान रक्षा के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन अंधेरा होने की वजह से कोई उनकी मदद के लिए नहीं आ पाया। कहा ये भी जाता है कि कुछ लोगों ने उनके साजो-सामान लूट लिए और बिना मदद किए वहां से भाग गए।
इसके बाद ये जवान गाड़ी के अंदर की तड़प-तड़प कर मर गए। कहा जाता है कि अगर इंसान की इच्छा मृत्यु नहीं होती, तो उसकी आत्मा भटकने लगती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि स्वाला गांव में भी इसके बाद कुछ ऐसा ही हुआ था। जवानों की रूह ने इस गांव में कोहराम मचाना शुरू कर दिया। इस गांव में आज भी आत्माओं का वास कहा जाता है। इसके अलावा आप ये 2 मिनट का वीडियो जरूर देखिए। इस गांव के पास एक मंदिर बनाया गया है। रास्ते से गुजरने वाला पहले इस मंदिर में मत्था टेकता है और तभी आगे बढ़ता है। कहा जाता है कि ऐसा ना करने पर अनहोनी हो जाती है। इस गांव में ही एक नोटिस भी है, जिसमें जवानों की मौत की बात लिखी गई है। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि पलायन की वजह से ही ये गांव खाली हुआ है। क्या सच है और क्या झूठ है ये तो आप लोग ही तय कर सकते हैं।