उत्तराखंड की इस लेडी कांस्टेबल को प्रणाम, बिन मां के नवजात को दिया ममता का अमृत
Sep 23 2017 4:34PM, Writer:सुशील
देवभूमि उत्तराखंड की धरती ही ऐसी है, जहां मां शब्द आज भी लोगों के लिए शक्ति का स्वरूप है। आपने देशभर में ऐसी माताओं की कहानी सुनी होगी, जिन्होंने अपने बच्चों को ही चंद रुपयों की खातिर घर से निकाल दिया हो। लेकिन उत्तराखंड इस मामले में बेहद अलग है। यहां की माताएं सेवा करना जानती हैं, अपना धर्म निभाना जानती हैं और खास बात ये है कि दूसरों की संतान को भी मां का सुख देना जानती हैं। ऐसी ही एक मां है ‘’देवकी’’। आपने भगवान कृष्ण की कहानी पढ़ी होगी, जिसमें बांसुरीवाले की मां देवकी थी। एक वो माता देवकी है और एक ये माता देवकी है। उस माता देवकी को जन्म के बाद कान्हा को नंदबाबा के पास सौंपना पड़ा। तो उत्तराखंड की देवकी ने किसी और के पुत्र को ही मातृत्व की छाया दे दी। कहानी बेहद दिलचस्प है और इस वजह से आप इस देवकी को भी सलाम करेंगे।
देवकी उत्तराखंड की महिला कांस्टेबल हैं। दरअसल हल्द्वानी के शीशमहल इलाके में एक महिला गुंजन ने कल दोपहर करीब दो बजे घर में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। इस वजह से परिवार में मातम का माहौल था। गुंजन के परिजनो ने काठगोदाम थाना पुलिस को करीब 4 बजे इसकी खबर दी। सूचना मिलने पर पुलिस टीम शीशमहल इलाके में पहुंची। काठगोदाम के दारोगा के साथ एक महिला कांस्टेबल भी थी, इसी महिला कांस्टेबल का नाम देवकी है। देवकी ने घर पहुंचकर जो किया है, उसके बारे में पढ़कर आप गर्व करेंगे कि उत्तराखंड में ऐसी महान माताएं भी हैं। पुलिस जह गुंजन के घर पहुंची तो देखा कि घर से रोने की आवाजें आ रही थी। इसी घर में एक 16 दिन का बच्चा भूख से बिलख रहा था। बच्चे को इतनी भूख लगी थी कि वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। फिर देवकी ने एक बड़ा काम किया।
मां की ममता से हमेशा के लिए दूर हो चुके इन नवजात का दर्द देवकी समझ चुकी थी। उन्होंने तुरंत बच्चे को अपनी गोद में उठाया, सीने से लगाया और अपना दूध पिला दिया। अबोध बच्चे को मां का दुलार मिला, प्यार मिला और बच्चा शांत हो गया। जैसे ही बच्चा भूख से शांत हुआ तो इस मां को निहारने लगा। मानों मासूम मन ही मन कह रहा हो कि एक मां तो चली गई, लेकिन मां तुम मेरा साथ मत छोड़ना। पुलिस की वर्दी के पीछे छिपे इस मां के दिल ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई और मौके पर मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर दी। देवकी को आज हर कोई सम्मान की दृष्टि से देख रहा है। आप समझ सकते हैं कि कैसा रहा होगा इस मां का दिल, जिसने 16 दिन के नवजात के दर्द को समझ लिया और देर ना करते हुए अपना ही दूध से उसकी भूख को सींच लिया. राज्य समीक्षा सलाम करता है ऐसी मां को।