Video: उत्तराखंड की मां धारी देवी का वो रहस्य, जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते !
Sep 26 2017 2:03PM, Writer:कपिल
माँ धारी देवी प्राचीन काल से उत्तराखण्ड की रक्षा करती है, सभी तीर्थ स्थानों की रक्षा करती है । माँ धारी देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है । साल 1807 से इसके यहां होने का साक्ष्य मौजूद है । पुजारियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर इससे भी पुराना है । 1807 से पहले के साक्ष्य गंगा में आई बाढ़ में नष्ट हो गए हैं । 1803 से 1814 तक गोरखा सेनापतियों द्वारा मंदिर को किए गए दान अभी भी मौजूद है । इस मंदिर में पूजा अर्चना धारी गांव के पंडित कराते हैं । यहां के तीन पंडित भाई चार -चार महीने पूजा कराते हैं । यहां के पुजारी बताते हैं कि द्वापर युग से ही काली की प्रतिमा यहां स्थित है। इससे आगे के के कालीमठ में देवी काली की प्रतिमा क्रोध की मुद्रा में है पर धारी देवी मंदिर में कल्याणी परोपकारी शांत मुद्रा में हैं। यहां महाकाली के धार की पूजा होती है जबकि उनके शरीर की पूजा काली मठ में होती है।
पुजारी का मानना है कि धारी देवी, धार शब्द से ही निकला है । पुजारी मंदिर के बारे में अन्य कथा का पुरजोर खंडन करता है । साल 1980 की बाढ़ में प्राचीन मूर्ति खो गयी तथा 5-6 वर्षो बाद तैराकों द्वारा नदी से मूर्ति को खोज निकाला गया । इस बीच के वक्त में यहां पर एक और प्रतिमा स्थापित की गई थी। अब मूल प्रतिमा को फिर से स्थापित किया गया है। आज देवी की प्राचीन प्रतिमा के चारों ओर एक छोटा मंदिर चट्टान पर स्थित है । प्राचीन देवी की मूर्ति के इर्द-गिर्द चट्टान पर एक छोटा मंदिर स्थित है। देवी की आराधना भक्तों द्वारा अर्पित 50,000 घंटियों बजा कर की जाती है । मां काली का रूप माने जाने वाली धारा देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाई गई थी। उत्तराखण्ड के श्रीनगर में हाइडिल-पाॅवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था।
प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे के बाद ही केदारनाथ मे तबाही का मंजर आया और सैकड़ो लोग इस तबाही के मंजर में मारे गये। 16 जून 2013 को शाम 6 बजे धारी देवी की मूर्ति को हटाया गया और रात्रि आठ बजे अचानक आए सैलाब ने मौत का तांडव रचा और सबकुछ तबाह कर दिया जबकि दो घंटे पूर्व मौसम सामान्य था। इस इलाके में माँ धारी देवी की बहुत मान्यता है लोगों की धारणा है कि माँ धारी देवी की प्रतिमा में उनका चेहरा समय के बाद बदला है । एक लड़की से एक महिला और फिर एक वृद्ध महिला का चेहरा बना। महा विकराल इस काली देवी की मूर्ति स्थापना और मंदिर निर्माण की भी रोचक कहानी है। ये मूर्ति जाग्रत और साक्षात कही जाती है। देशभर से यहां श्रद्धालु आकर अपनी मन की मुरादें मांगते हैं।