image: First nuclear bomb was used in mahabharat

सबसे पहला परमाणु बम महाभारत के युद्ध में इस्तेमाल हुआ था, अमेरिका तक ने माना !

Sep 29 2017 8:40PM, Writer:Shantanu

जिस तरह से परमाणु हथियारों को लेकर दुनिया के देशों में होड़ लगी हुई है. उस से ये साफ हो रहा है कि हम अपने विनाश का सामान खुद तैयार कर रहे हैं। हाल के दिनों में उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच की तनातनी काफी बढ़ गई है। दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ऐसे में अगर इन दोनों के बीच में जंग होती है तो दुनिया विनाश के कगार पर पहुंच जाएगी। इन के अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच भी तनाव बरकरार रहता है। वैसे परमाणु बम का इतिहास काफी पुराना है। हमें और आपको यही पता है कि सबसे पहला परमाणु बम अमेरिका ने जापान के खिलाफ इस्तेमाल किया था। लेकिन ये पूरा सच नहीं है।

मानव इतिहास में सबसे पहला परमाणु बम भारत ने किया था, जी हां ये सच है, महाभारत के युद्ध में जिस ब्रह्मास्त्र का जिक्र आता है वो परमाणु बम ही था। ये तथ्य सामने आया था जे ओपेनहाइमर की रिसर्च से, जिनको फादर ऑफ न्यूक्लियर बम भी कहा जाता है। अमेरिका के इस साइंटिस्ट ने भारतीय गीता और महाभारत का बारीकी से अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की मारक क्षमता पर रिसर्च किया और अपने मिशन को नाम दिया था ट्रिनिटी। इस रिसर्च के बाद साइंटिस्ट मानते हैं कि महाभारत के युद्ध में न्यूक्लियर बम का प्रयोग हुआ था। रॉबर्ट के साथ 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने ये रिसर्च की थी। इसी के साथ 42 साल पहले पुणे के डॉक्टर औऱ लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने भी अपनी रिसर्च के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था।

पुणे के डॉ. वर्तक की लिखी किताब स्वयंभू में इसके बारे में जानकारी मिलती है। रॉबर्ट ओपनहाइमर और डॉक्टर वर्तक की रिसर्च में ब्रह्मास्त्र को न्यूक्लियर बम की तरह ही घातक माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि महाभारत के युद्ध में लाखों लोगों के एक साथ मारे जाने का उल्लेख है। इस तरह की विध्वंसक तबाही केवल परमाणु हथियार से ही संभव है। ब्रह्मास्त्र दैवीय हथियार था। माना जाता है कि ये अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र था। महाभारत के युद्ध में हमें इस हथियार के बारे में जानकारी मिलती है। जो शख्स इस हथियार को छोड़ता था उसके पास इसे वापस लेने की भी शक्ति होती थी। हालांकि अश्वत्थामा को इसे वापस लेने का तरीका नहीं याद था जिसके कारण लाखों लोग मारे गए थे। रामायण और महाभारत काल में ये अस्त्र गिने-चुने योद्धाओं के पास था। सिंहु घाटी सभ्यता के दौरान भी इस बात के संकेत मिले हैं। कई ऐसे नरकंकाल मिले हैं जिनको देख कर लगता है कि उनको किसी भयंकर प्रहार से मारा गया था।


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