image: Arjun ki kursi in uttarakhand

उत्तराखंड में पांडव इस जगह पर ठहरे थे, यहां आज भी मौजूद है अर्जुन की कुर्सी !

Oct 9 2017 3:16PM, Writer:मीत

उत्तराखंड अपने प्राकृतिक सौंदर्य और अपनी अलौकिक संपदा क लि दनिया भर में विख्यात है। यहां आपको कदम कदम पर ऐसे चमत्कार दिखेंगे कि आप खुद ही हैरान रह जाएंगे। आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताना चाह रहे हैं , जिस जानकर आपको गर्व होगा कि आप देवभूमि उत्तराखंड में पैदा हुए हैं। टिहरी जिले में सहस्रताल पर्यटक स्थल के बीच की एक जगह अर्जुन की कुर्सी के नाम से जानी जाती है। एक तो ये अपने आप में आकर्षण का केंद्र है, इसके अलावा यहां खिलने वाले फूल आपको एक पल के लिए सम्मोहित करने की ताकत रखते हैं। इसके अलावा एक और खास बात है इस जगह के बारे में ऐसी कहानी जो सच्ची लगती है और हमार शास्त्रों में भी इस कहानी का जिक्र है। आस-पास स्थित बर्फीली पहाडिय़ां, भागदौड़ भरी दुनिया से बेहद दूर मौजूद है ये जगह।

अगर आपको प्रकृति का सच में वास्तविक आनंद उठाना है तो अर्जुन की कुर्सी से बेहतर जगह कोई नहीं है। सहस्रताल से ये जगह करीब आठ किलोमीटर पहले पड़ती है। सहस्रताल से तो आप अच्छी तरह से वाकिफ होंगे। लेकिन अर्जुन की कुर्सी के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। ये जगह सहस्रताल का मुख्य पड़ाव है। इसलिए पर्यटक कुछ वक्त के लिए यहां पर रुकते हैं और प्रकृति का आनंद उठाते हैं। इस जगह पर पत्थर की एक बड़ी शिला है, जो कुर्सी जैसी है। य कुर्सी अर्जुन की कुर्सी के नाम से जानी जाती है। स्थानीय लोग इस कुर्सी की पूजा-अर्चना करत हैं और यहां पर फूल चढ़ात हैं। पौराणिक कहानियं के मुताबिक पांडव जब स्वर्गारोहण के लिए निकले तो सबसे पहले वो बूढ़ाकेदार में रुके थे। यहां भगवान शिव ने पांडवों को वृद्ध के रूप में दर्शन किए।

इस वजह स इस जगह का नाम बूढ़ाकदार पड़ा है। इसके बाद कुछ दूर जाकर एक जगह पर पांडवों ने विश्राम किया। अर्जुन एक पत्थर की शिला पर बैठे और इसी शिला को लोग अर्जुन की कुर्सी के नाम से पुकारते हैं। लोग बकायदा इस कर्सी की पूजा करते हैं। हिमालयन ट्रैकिंग एवं माउंटेनियरिंग के मुताबिक पर्यटक स्थलों की जानकारी और रुटों को दर्शाने वाले बोर्ड हर जगह पर लगाए जाना चाहिए, जिसस लोगों को हर जगह के बारे में सही तरह से मालूम हो। कुल मिलाकर कहें तो उत्तराखंड में वो जगह मौजूद है, जो इस बात का प्रमाण है कि आदि अनादि काल स देवों के लिए ये जगह मुफीद रही है। आपको भी कभी वक्त लगे तो एक बार जरूर इस धरती पर पधारें, आप खुद को अलग ही दुनिया मं पाएंगे।


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