नरेंद्र सिंह नेगी जी, स्वस्थ होने के बाद पहली ऐतिहासिक प्रस्तुति देखिए
Oct 30 2017 3:07PM, Writer:सुनील
पहाड़ों के कालजयी कवि नरेंद्र सिंह नेगी जी आखिरकार लोगों के बीच आए और एक ऐतिहासिक कविता के जरिए उन्होंने लोगों को बताया कि किस तरह से उन्होंने एक गंभीर बीमारी से खुद को निजात दिलाई। इस कविता के माध्यम से नरेंद्र सिंह नेगी ने लोगों को बताया कि किस तरह से उन्होंने एक भयंकर बीमारी से लड़ाई की। नेगी जी कहते हैं कि उत्तराखंड की दुआओं ने उनकी हिम्मत को बढ़ाया और इस लड़ाई में वो उत्तराखंडियों की दुआओं के दम पर डटे हैं। नेगी दी कहते हैं कि उत्तराखंड के लोगों की दुआएं रंग लाई और आईसीयू से उन्हें मुक्ति मिल पाई। आपको बता दें कि नेगी जी को दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद उन्हें देहरादून के मैक्स अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। उस वक्त पूरे उत्तराखंड ने नेगी जी के लिए दुआएं की थी।
ये उत्तराखंड की दुआओं का ही असर था कि नेगी जी एक बार फिर से लोगों के बीच आ सके। उत्तराखंड को नेगी जी ना जाने कितनी यादें दे चुके हैं। उनका हर गीत दिल को छू लेने वाला होता है। नेगी जी सिर्फ एक मनोरंजनकार ही नहीं बल्कि एक कलाकार, संगीतकार और कवि हैं, जो अपने परिवेश को लेकर काफी भावुक और संवेदनशील हैं। नेगी जी का जन्म 12 अगस्त 1949 को पौड़ी में हुआ। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पौड़ी से की थी और अब तक वे दुनिया भर के कई बडे बडे देशों मे जाकर गीत गा चुके हैं। उत्तराखण्ड के इस मशहूर गायक के गानों मे मात्रा के बजाय गुणवत्ता होती है। इस वजह से लोग उनके गानों को बहुत पसंद करते हैं। वक्त के साथ-साथ उत्तराखंड की इंडस्ट्री में कई बड़े गायक भी शामिल हुए। लेकिन नए गायकों की नई आवाज के होते हुए भी पूरा उत्तराखण्ड नेगी जी के गानों को वही प्यार और सम्मान के साथ आज भी सुनता है।
कहा जाता है कि नेगी जी "गुलजार साहब" के काम को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि गुलजार की पुराने और नई रचनाओं में एक गहरा अर्थ होता है। गाना गाने के साथ ही नेगी जी लिखते भी हैं। कुल मिलाकर कहें तो ये वो वीडियो है, जिसे आप बार बार सुनना चाहेंगे। अपनी जिंदगी के 68 बसंत देख चुके नरेंद्र सिंह नेगी को अगर कालजयी रचनाकार कहा जाए तो कम ही होगा। अपनी रचनाओं से पहाड़ को जीवंत कर देने वाले इस कवि के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है।