पहाड़ी हिम्मत, पहाड़ी दम का सबसे बड़ा सबूत, सरकारी सिस्टम देखता रह गया
Nov 6 2017 9:19AM, Writer:सूरज
बुलंद हौसले और दिल में कुछ कर गुजरने का अरमान हो तो, कुछ भी मु्श्किल नहीं होता। उत्तराखंड के लोगों ने इस हावत को बार बार साबित करके भी दिखाया है। ये ही वो बुलंद हौसले हैं, जिनकी बदौलत कई लोग अपनी मंजिल को पा जाते हैं। सिस्टम को कोसकर बैठने वालों की जीत मुश्किल होती है, इस बात को साबित किया है बागेश्वर के रिठाड़ गांव के लोगों ने। जी हां इन लोगों की सरकारी सिस्टम का इंतजार किए बिना खुद तटबंध बनाया और खुद अपने गांव के खेतों तक नहर पहुंच़ाई। कई वक्त पहले से ये लोग सरकारी अफसरों का इंतजार कर रहे थे। स्थानीय लोग कहते हैं कई साल पहले ही सरकारी अफसरों तक बात पहुंचा गई थी कि खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहर बनानी है। लेकिन जब सरकारी सिस्टम से कोई बड़ा अधिकारी नहीं आया, तो गांव वालों ने खुद ही हाथ उठा लिया।
बागेश्वर के रिठाड़ वासियों ने ऐसे लोगों के लिए मिसाल पेश की है, जो आज भी छोटे-छोटे कामों के लिए सरकार की बाट जोहते हैं। यहां ग्रामीणों ने अपनी मेहनत के जरिए सूख रहे खेतों तक पानी पहुंचाया। इसके साथ ही इस गांव के लोगों ने सरकारी तंत्र को आईना दिखाने का भी काम किया है। बागेश्वर तहसील की देवनाई घाटी में रिठाड़ के ग्रामीणों ने 15 साल पहले फसलों की सिंचाई के लिए गरुड़ नदी से रिठाड़ सेरे तक नहर तैयार की थी। बीते एक साल से नहर की देखरेख नहीं हो पा रही थी और इस वजह से ये बंजर पड़ गई थी। गरुड़ नदी पर बना नहर का तटबंध भी टूट गया था। बरसात के मौसम में मानसून की वजह से ग्रामीणों ने जैसे-तैसे रोपाई तो कर ली, लेकिन हाल ही में लंबे समय से बारिश नहीं होने से खेत सूख गए। गेहूं की बुवाई करना तो दूर खेतों में हल चलाना तक मुश्किल हो गया।
बस फिर क्या था रिठाड़ के सरपंच अर्जुन राणा के नेतृत्व में ग्रामीण जमा हुए। ग्रामीणों ने बैठक की और सरकारी मदद नहीं लेने का ऐलान किया। उन्होंने खुद ही श्रमदान करने का ऐलान किया। कुछ लोग गरुड़ नदी में तटबंध बनाने में जुट गए। कुछ ग्रामीण बंजर पड़ी नहर की सफाई करने लगे। सिर्फ चार घंटे के श्रमदान के बाद उनके खेतों तक पानी पहुंच गया। आज रिठाड़ गांव के सेरे में सिंचाई होने लगी है। लोग अब सब्जी की पैदावार कर रहे हैं और गेहूं की बुवाई का काम भी कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक श्रमदान की चर्चा पूरी कत्यूर घाटी में हो रही है। ग्रामीणों ने सरकार का मुंह ताकना छोड़ा और सरकारी तंत्र को आइना दिखाने का काम किया है। बात एकदम सही कही गई है कि अगर इंसान कुछ भी ठान ले तो अपनी हिम्मत के दम पर उस काम को पूरा कर के ही दम लेता है।