Video: देवभूमि के इस मंदिर को नासा का प्रणाम, रिसर्च में निकली हैरान करने वाली बातें
Nov 14 2017 9:57AM, Writer:शैलजा
उत्तराखड को युगों युगों से ही देवताओं का निवास स्थान कहा गया है। आप शायद ही ये जानते होंगे कि उत्तराखंड में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां की शक्तियां नासा के वैज्ञानिकों को भी हैरान करती हैं। ये स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया की तीसरी ऐसी जगह है, जहां खास चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं। खुद नासा के वैज्ञानिक भी इस पर शोध कर चुके हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में कसार पर्वत पर मौजूद है मां दुर्गा का मंदिर।इस मंदिर में अनोखी शक्तियां मौजूद हैं। अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं। इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस मंदिर पर रिसर्च कर रहे हैं।
अल्मोड़ा जिले में स्थित कसारदेवी मंदिर की 'असीम' शक्ति से नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इस जगह के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं। पर्यावरणविद डॉक्टर अजय रावत ने भी लंबे समय तक इस पर शोध किया है। उन्होंने बताया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।पिछले कई साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है।
कहा जाता है कि ढाई हजार साल पहले मां दुर्गा ने दो राक्षसों का वध करने के लिये कात्यायनी रूप में अवतार लिया था। डॉ. रावत ने भी अपने शोध में इस जगह को चुंबकीय रूप से चार्ज पाया है। उन्होंने बताया कि कसारदेवी मंदिर के आसपास भी इस तरह की शक्ति निहित है।स्वामी विवेकानंद ने 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे।इस मंदिर ने विज्ञान जगत को भी हिलाकर रख दिया है। यहां आने वाले भक्त आसानी से सैकड़ों सीढ़ियां बिना किसी थकावट के ही चढ़ जाते हैं।