देवभूमि में शनिदेव का वो मंदिर, जो लकड़ी के पत्थरों से बना, यहां की कार्तिक पूर्णिमा बेहद खास है
Dec 4 2017 10:26AM, Writer:कपिल
उत्तराखंड य़ानी देवभूमि। एक ऐसी जगह जहां देवता निवास करते हैं। जहां हर कदम पर आपको ऐसे ऐसे चमत्कार दिखेंगे, जो हैरान करते हैं। यूं तो आपने उत्तराखंड में कई शैलियों में बने और कई कलाकृतियों को संजोए मंदिर देखे होंगे। लेकिन आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वो जरा अलग है और शैली के मालले में भी हटकर है। ये मंदिर खरसाली में मौजूद है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पड़ता है खरसाली। यहां मां यमुना का शीतकालीन प्रवास होता है। कहा जाता है कि शनि न्याय के देवता होते हैं। हर किसी के जीवन में जो भी पाप होते हैं, उन पापों का प्रायश्चित भी इसी जीवन में करना होता है। कहा जाता है कि शनिदेव न्यायाधीश हैं, जो हर कर्म का हिसाब करते हैं। शनिदेव को यमराज का पुत्र कहा जाता है।
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इंसान अपनी और दुनिया की नजरों से बच सकता है, लेकिन शनिदेव की नजरों से नहीं बच सकता। खरसाली में स्थित मंदिर का अपना अलग ही महत्व है। यहां अखंड ज्योति मौजूद है। कहा जाता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। खरसाली में ही मां यमुना अपने शीतकाली प्रवास के लिए आती है और खास बात ये ही खरसाली में मां यमुना के भाई शनिदेव भी मौजूद हैं। खास बात ये है कि ये मंदिर लकड़ी के पत्थरों से तैयार किया गया है। इसकी कलाकृति बेहद ही प्राचीन है। यमनोत्री धाम से 5 किलोमीटर पहले ये मंदिर पड़ता है। हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं। यहां शनि देव 12 महीने विराजमान रहते हैं।
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हालांकि इस मंदिर के निर्माण की सटीक जानकारी यहां के स्थानीय लोगों के पास भी नहीं है। लेकिन कुछ इतिहासकार कहते हैं कि ये मंंदिर पांडवकाली है। अब एक और खास बात ये है कि साल में एक बार यहां चमत्कार होता है। एक दिन यहां शनि देव के मंदिर के ऊपर रखे घड़े खुद बदल जाते है। ये कैसे होता है, इस बारे में अब तक लोगों को कोई जानकारी नहीं है। ये दिन भी बेहद खास होता है। कहा जाता है कि यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही ऐसा होता है। ये क्यों होता है, कैसे होता है, इस बारे में अभी तक किसी को सही ढंग से जानकारी नहीं है। लेकिन इतना जरूर है कि ये जगह चमत्कारों से भरी पड़ी है। यहां की अखंड ज्योति के दर्शन करने से ही शनि की बाधा दूर हो जाती है। खरसाली में मौजूद इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां मनुष्य के हार पाप को हिसाब होता है।