image: Uttarakhand become number one capital of protest says report

उत्तराखंड फिर बना देश का नंबर वन राज्य, इस बार मामला जरा अलग है

Dec 6 2017 3:44PM, Writer:कपिल

हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है। होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो ने ये रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2016 में देश में सबसे ज्यादा आंदोलन किन राज्यों में हुए हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में पिछले साल सबसे ज्यादा आंदोलन हुए हैं। उत्तराखंड में बीते साल सबसे ज्यादा प्रदर्शन हुए हैं। उत्तराखंड के बाद इस लिस्ट में तमिलनाडु और पंजाब का नंबर रहा है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 में उत्तराखंड राज्य में पूरे देश में सबसे ज्यादा 21,966 आंदोलन हुए। सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि इस रिपोर्ट में देश के दूसरे राज्यों के बारे में भी जानकारी दी गई है। उत्तराखंड के बाद तमिलनाडु का नंबर आता है।

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तमिलनाडु में किसान आंदोलन मुखर रहा है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि तमिलनाडु में पिछले साल यानी 2016 में 17,043 विरोध-प्रदर्शन हुए। तमिलनाडु के बाद पंजाब का नंबर है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पंजाब में साल 2016 में 11,876 आंदोलन हुए हैं। इसके बाद दिल्ली का नंबर है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2016 में दिल्ली में कुल मिलाकर 7,094 प्रदर्शन हुए। ये रिपोर्ट कहती है कि बीते साल देश के अलग अलग हिस्सों में कुल मिलाकर 1,15,837 आंदोलन हुए थे। इन आंदोलनों की खास बात ये है कि सबसे ज्यादा प्रदर्शन सरकारी कर्मचारियों ने किए थे। 2016 में इस मामले में उत्तराखंड सबसे आगे है। साल 2015 में तमिलनाडु में सबसे आगे था। 2015 में तमिलनाडु में 20,450 प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद पंजाब और उत्तराखंड का नंबर था।

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2015 में पंजाब में 13,089 आंदोलन हुए थे। इसके अलावा 2015 में उत्तराखंड में 10,477 आंदोलन हुए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड के लोगों के बीच ऐसे कई मुद्दे और परेशानियां हैं, जिनका अभी तक कोई हल नहीं निकला है। इसी को लेकर लोगों में जो गुस्सा और निराशा है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये गुस्सा और निराशा अब विरोध प्रदर्शन के रूप में निकल रहा है। होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो का कहना है कि सभी राज्यों के डेटा हासिल करने के बाद ही इस रिपोर्ट को सामने रखा गया है। इसके अलावा तमिलनाडु के बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि यहां किसानों में काफी निराशा है। सरकार की किसान विरोधी नीतियों की वजह से ये आंदोलन बढ़ रहे हैं।


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