Video: देवभूमि के फौजी बृजेश बिष्ट को सलाम, आजादी के 7 दशकों में जो नहीं हुआ, वो कर दिया
Dec 7 2017 4:07PM, Writer:कपिल
जनता विकास की राह तकती जाती है, उम्मीदें हुक्मरानों से जुड़ी रहती हैं। लेकिन जब उन्हें वादों के अलावा कुछ नहीं मिलता तो ऐसे हालात एक नए मौके को जन्म देते हैं। कुछ ऐसे मौके, जो इतिहास बन जाते हैं, सदा के लिए लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। खास तौर पर जब पहाड़ के एक फौजी की बात करें, तो उनके हौसले को कोई नहीं डिगा पाया। हम उन्हें दशरथ मांझी नहीं कहेंगे, उन्हें पहाड़ का माधो सिंह भंडारी इंसान कहा जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। उत्तराखंड के चम्पावत जिले के एक गांव है खूनामलक। आजादी के बाद से इस गांव में सड़क नहीं पहुंची थी। लोग दशकों से जनप्रतिनिधियों का मुंह ताक रहे थे। लेकिन एक फौजी ने कसम खाई कि अब खुद सड़क तैयार की जाएगी। कोई साथ नहीं होगा, तो अकेले दम पर ये जंग जीती जाएगी। ये हैं फौजी बृजेश बिष्ट जी।
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इन्होंने अपने खून पसीने को एक कर वो सड़क बना डाली, जिसका इंतजार गांव के लोगों को आजादी के बाद से था। डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के लिए खूनामलक के लोग अधिकारियों के सामने बीते कई सालों से हाथ जोड़ते रहे। लेकिन इस फौजी ने साबित कर दिया कि खुद पर भरोसा रखिए, भगवान ने जो दो हाथ दिए, दो पैर दिए, सोचने के लिए दिमाग दिया, सच देखने के लिए आंखें दी. अच्छी बातें सुनने के लिए कान दिए, उनका इस्तेमाल करो। बृजेश बिष्ट ने पहाड़ियों को काटकर सड़क बनाने की ठानी। 2014 से हर साल छुट्टियों में बृजेश बिष्ट गांव आते थे और पहाड़ काटकर सड़क बनाने के काम में जुट गये। बृजेश बिष्ट 2017 में सेना से रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान इस काम पर लगा दिया। परिवारवालों की नाराज़गी के साथ ही उन्हें लोगों के मजाकों को भी झेलना पड़ा।
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लेकिन एक फौजी के इरादे पहाड़ जैसे होते हैं। उन्होंने किसी की नहीं सुनी और अपने काम में लगे रहे। 3 साल के भीतर ही खून पसीने की मेहनत से उन्होंने डेढ़ किलोमीटर की सड़क बना डाली। उन्होंने नेशनल हाईवे को गांव से जोड़ दिया और आज सारे गांव वाले उनका गुणगान कर रहे हैं। अब सीडीओ साहब भी जाग गए हैं और सड़क चौड़ी करने की बात कह रहे हैं।