Dec 31 2017 4:29PM, Writer:कपिल
उम्मीद तो थी कि ऐसा होगा। आखिरकार पांडवाज यानी ईशान डोभाल, कुणाल डोभाल और सलिल डोभाल की नई पेशकश उत्तराखंड में नए रिकॉर्ड्स बनाने के लिए तैयार है। कुछ ही वक्त में ये वीडियो 1 लाख व्यूज को पार कर चुका है। अब सवाल ये है कि आखिर वो क्या बातें हैं, जो इस वीडियो को खास बना रही हैं ? आखिर वजह क्या है कि ये वीडियो लगातार इतना पॉपुलर हो रहा ? इस बारे में हम आपको कुछ खास बातें बता रहे हैं। वो 7 वजहें जानिए, जिनमें 900 किलोमीटर का सफर भी है, आवाजों ता प्रयोग है, संगीत का प्रयोग है, वाद्ययंत्रों का प्रयोग है और कई तरह की नई बातें हैं। आगे की स्लाइड्स क्लिक करें और जानिए कि आखिर इस वीडियो में ऐसी क्या खास बातें हैं।
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शकुना दे... सत्य और सार्थकता का सबूत-- सत्य के करीब और सार्थकता को सच करता शकुना दे। आज तक आपने शायद एक बाप बेटी का रिश्ता, एक भाई बहन का नाता इतनी खूबसूरती से नहीं देखा होगा। हां खास बात ये है कि इस बार पांडवाज के सिर से वो बोझ भी हट गया है, जिसमें कहा जाता था कि लिरिक्स चुराए गए हैं। इस बार अपने लिरिक्स हैं और मुखड़ा एक लोकगीत का है, जो सभी का होता है। दीपक मेहता और लोकेश अधिकारी के शब्दों में सार्थकता दिखी। वीडियो में एक दो जगहों को छोड़ दें, तो गलती निकलना मुश्किल होगा।
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कम वक्त, ज्यादा हिट्स- दूसरी और खास बात। सुनने वालों के कानों में शहद एक बार फिर से घुल रहा है। जो इस गीत को सुन रहा है, बस सुनता जा रहा है। पहली बार 7 मिनट से बड़ी कॉम्पोजीशन और उस पर हर किसी का एक सेकंड के लिए भी पलकें ना झुकाना, मायने रखता है। एक एक माइक्रोसेंकंड का भी इस्तेमाल, छोटी से छोटी चीजों का ध्यान और पिछले से कुछ बेहतरीन और अलग। ये वो वजह है, जिससे पांडवाज का गीत शकुना दे इस मुकाम पर पहुचा है। उम्मीद क्या की जाए ? इस महीने अगर ये सिलसिला यूं ही चलता रहा तो, 4 लाख हिट्स कहीं नहीं गए। अगर एक महीने में 5 लाख हिट्स कलेक्शन हुआ तो उत्तराखंडी संगीत में ये एक अलग रिकॉर्ड होगा।
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प्रयोग...रुकने नहीं चाहिए...900 किलोमीटर का सफर- ये एक सिलसिला है, जो रंचणा से शुरू हुआ था। प्रयोग जरूरी हैं और होते रहने चाहिए। रंचणा के बाद घुघूती में एक नया प्रयोग देखने को मिला। इसके बाद फुलारी आया तो सबकी आंखों के सामने कुछ और ही था। अब शकुना दे आपके सामने है। एक बात आपको जरूर बताना चाहेंगे कि शकुना दे गीत में कुछ नए प्रयोग करने से पहले कुणाल और सलिल ने एक स्कूटर पर पूरे उत्तराखंड में 900 किलोमीटर का सफर किया था। लोकेशन की खोज और नए प्रयोगों का ये सिलसिला जारी रहेगा। ये एक क्रम है, एक सफर जो आविष्कारों का जनक है। आप हर वीडियो में कुछ अलग और कुछ खास देखेंगे।
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संगीत ...सोने पर सुहागा- कहते हैं कि ‘’साहित्य, संगीत, कला विहीन:, साधात् पशु पुच्छ विषाण हीन:’’। इसका अर्थ बाद में समझिएगा। लेकिन पांडवाज फिलहाल साहित्य, संगीत और कला से पोषित हैं। खास तौर पर संगीत, जिसकी जिम्मेदारी ईशान के पास है। ईशान इस रोल को बेहतरीन तरीके से निभा रहे हैं। रंचणा से लेकर शकुना दे तक कोरस ही पांडवाज की जान रहे है। इसके अलावा गायन में अमित थपलियाल, कविन्द्र सिंह, अंजलि खरे और खुद ईशान डोभाल ने लीड सिंगर बनकर अलग ही प्रयोग किए हैं। खास तौर पर अंजलि खरे ने शुरू से लेकर अब तक पांडवाज का बेहतरीन साथ दिया है।
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पहाडी पंरपरा की पाती - जिस पियानो को बुग्याल के बीच में रखा गया है, वो टाइम मशीन है। उस पियानो पर आपको गढ़वाल और कुमाऊं में देहरी, मोरी पर सजने वाले पारंपरिक चिह्न दिखेंगे। ढोल, दमाऊं आपको इस टाइम मशीन रूपी पियानो में दिखेगा। बाघ, हाथी, गणपति, तोता जैसे छोटी छोटी बात का ध्यान रखा गया है। खास तौर पर पियानो के एक पाए में भी नाले का धागा बंधा आपको नजर आएगा। इतनी गहरी सोच के साथ पूरा वक्त देकर इस वीडियो को तैयार किया गया है। ईशान ने इस वीडियो में हुड़की का इस्तेमाल किया है, जिसके लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी।
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डायरेक्टर...आंखों से देखा क्या है - आंखों की पारखी नजर चाहिए जनाब, हर नजारा भला लगेगा। उसे डायरेक्टर की निगाहें की कहेंगे कि इंसीन भावों को कैमरे के रास्ते आपकी आखों के सामने ले आया। कुणाल एनर्जी से परिपूर्ण हैं, कार्य कुशलता उनमें कूट-कूटकर भरी है। कुणाल कहते हैं कि इस बार पहली दफा कलाकारों का प्रोफेशनल मेकअप कराया गया था। अल्मोड़ा के रानीखेत के पंतकोटली गांव में वीडियो शूट किया गया। लाला बाज़ार के नजारे आपको अब हमेशा के लिए याद रहेंगे। अल्मोड़ा की मशहूर खीम सिंह की दुकान तो याद रहेगी ही।
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कैमरा...नजर खास, बड़ी आस- उसका हुनर भी बड़ा कमाल का है। सलिल डोभाल, सही मायनों में देखें तो पांडवाज सीरीज में कैंमरा वर्क एक अलग ही जगह रखता है। सलिल ने हर बार मेहनत की है। कैमरे के पीछे रहकर उन्होंने उत्तराखंड के हर खूबसूरत नजारों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा गया है। साफ दिखता है कि मेहनत की गई है। जब मेहनत की गई है, तो वो ज़ाया नहीं हो रही है। इस तरह का कैमरा वर्क शायद उत्तराखंडी म्यूजिक वीडियोज में पहली बार दिख रहा है।