image: Buda madmaheshwar the place of lord shiva

Video: देवभूमि में यहां मौजूद है महादेव का शक्ति पुंज, वैज्ञानिकों की रिसर्च में बड़ी बातें !

Jan 8 2018 6:29PM, Writer:अमित

देवभूमि उत्तराखण्ड के तीर्थो की महिमा का गुणगान पूर्ण रुप से नहीं किया जा सकता हैै। दरअसल उत्तराखण्ड के कई तीर्थ धार्मिक मान्यताओं के साथ सौन्दर्य से भरपूर है। इन्हीं में से एक है बूढ़ा मदमहेश्वर कहा जाता है कि जो व्यक्ति मद्महेश्वर घाटी के पावन तीर्थो में आता है, वो प्रकृति की सुन्दरता का कायल हो जाता है। भगवान मद्महेश्वर के धाम से लगभग दो किलोमीटर की ऊँची चोटी पर भगवान बूढा़ मद्महेश्वर का धाम है। वेद और पुराणों में वर्णित है कि भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना के बाद भगवान बूढा़ मद्महेश्वर की भी पूजा-अर्चना बेहद जरूरी है। तब ही यात्रा सफल मानी जाती है। शिव पुराण के केदारखण्ड मेंं बताया गया है कि उच्च हिमालयी भू-भाग में केदार भवन के दक्षिण भाग में तीन योजन की दूरी पर द्वितीय केदार मद्महेश्वर और बूढा़ मद्महेश्वर का तीर्थ विराजमान है।

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बरसात के बाद बूढा़ मद्महेश्वर धाम में सैकडा़ें प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। बूढा़ मद्महेश्वर धाम के चारों तरफ का भू-भाग बरसात के वक्त कई तरह की जडी़ बूटियों से सुसज्जित रहता है। शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि महादेव यहां जागृत रूप में विराजमान रहते हैं। इस जगह की अलौकिकता से खुद दुनिया के बड़े बड़े वैज्ञानिक भी हैरान हैं। आपने इससे पहले अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर के बारे में सुना होगा कि वहां एक शक्ति पुंज मौजूद है। वैज्ञानिक भी इस बारे में बता चुके हैं। वैज्ञानिक ये भी बताते हैं कि उत्तराखंड में मौजूद मदमहेश्वर धाम के दो किलोमीटर ऊपर मौजूद बूढ़ा मदमहेश्वर भी इस एक शक्ति पुंज का केंद्र बिंदु है। जाहिर सी बात है, जो जगह महादेव की तपस्थली होगी, वहां शक्ति पुंज जरूर मौजूद होगा।

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बूढ़ा मदमहेश्वर के बारे में एक और खास बात ये है कि साल में 6 महीने से ज्यादा वक्त ये जगह बर्फ से ढकी रहती है। बर्फ हटने के बाद ये जगह फूलों से घिर जाती है और बेहद खूबसूरत दिखने लगती है। सैकड़ों प्रजाति के फूलों से घिरी इस जगह के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां जड़ी बूटियों का भी भंडार है।


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