Video: लेटेस्ट गढ़वाली गीत ‘नंदू मामा की स्याली’...नहीं सुना तो सुन लीजिए...गदर है !
Jan 20 2018 3:29PM, Writer:मीत
मस्त होना है ? पहाड़ के संगीत में खोना है ? कहीं जमकर पैर थिरकाने का मन कर रहा है ? तो लीजिए आपके लिए एक बेहतरीन गढ़वाली गीत आया है। म्यूजिक जबरदस्त है, बोल धाकड़ हैं और आवाज भी एकदम फिट है। संगीत की शुरुआत ही पहाड़ के सबसे पुराने वाद्ययंत्रों में से एक कहे जाने वाले मशकबीन से है। इसके बाद धीरे धीरे संगीत आगे बढ़ता है, तो पैर खुद ही थिरकने लगते हैं। ‘’नंदू मामा की स्याली’’ ख़ालिस पार्टी गीत है। इस बात में कोई शक नहीं है आने वाले वक्त में ये गीत आपको ‘चैता की चैत्वाल’ की तरह पार्टियों की शान बढ़ाता नजर आएगा। पहाड़ के संगीत का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। मशकबीन की धुन ही ऐसी है कि हर किसी को थिरकने पर मजबूर कर देती है। एक और खास बात ये भी है कि पहाड़ में किस तरह से ट्रेडिशनल म्यूजिक का बेस्ट इस्तेमाल किया जा सकता है, ये गीत वो भी बता रहा है।
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इस गीत को गाया भी गुंजन डंगवाल ने है और म्यूजिक भी उन्होंने दिया है। इसे मस्का ट्रांस का नाम दिया गया है। रणजीत सिंह ने मशकबीन का बेहतरीन इस्तेमाल किया है, इसके लिए उन्हें दाद देनी होगी। गौरव रतूड़ी ने बांसुरी को दिलकश अंदाज में बजाया है। सुरेश सिराज ने ढोल की बीट के जरिए हर किसी को थिरकने पर मजबूर किया है। यानी अलग अलग संगीतप्रेमियों ने इस गीत की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। नए और पुराने वाद्ययंत्रों का मिश्रण कानों को अच्छा लगता है। सुनने वाले के लिए गढ़वाल के नए संगीतकारों और गीतकारों की तरफ से लाजवाब तोहफा है। 6 मिनट 20 सेकंड का ये डांस नंबर एक बार के लिए भी आपको चैन से बैठने नहीं देगा। इसके अलावा नए लिरिक्स का बेहतरीन इस्तेमाल और संगीत में नया प्रयोग भी भी इस गीत के हिट होने की बड़ी वजह बन सकती है।
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गुंजन डंगवाल ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से कहा है कि सुनिए, नाचिये और शेयर कीजिये। उनका कहना है कि एयर फोन पर ये गीत आपको और भी बेहतरीन लगेगा। गीत ऐसा ही कि इसके खत्म होने पर भी दिल नहीं मानेगा। एक बार फिर से सुनेंगे, बार बार सुनेंगे तो मजा डबल होगा। लीजिए सुनिए।