Video: नेगी दा ने हर रिकॉर्ड तोड़ा...साबित कर दिया…‘बाप बाप होता है और बेटा बेटा’
Mar 5 2018 11:30AM, Writer:आदिशा
होली के मौके पर शब्दों की पिचकारी में रिवाजों का रंग घुला, परंपराओं का गुलाल उड़ा। नेगी दा ने हर मन को कभी ना छूटने वाले रंग से रंग दिया। उम्र 65 के पार है, लेकिन हौसले जवां हैं। उत्तराखंड के तमाम गीतकारों को अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। जब आपके सामने नरेंद्र सिंह नेगी जैसी शख्सियत मौजूद है, तो वास्तव में उनसे कुछ सीखिए। शब्दों का खेल है और ये ही चराचर है। संगीत ला सकते हो, एक बेहतरीन वीडियो कवर कर सकते हो, लेकिन शब्द कहां से लाओगे ? शब्दों से खेलना ही तो एक सच्चे कवि की पहचान है। ‘’नीली, पिंगली, हैरी लाल...मुखड़ी छिन बड़ीं गुलाल...रंगीली होली, रसीला गीत.. ढोलकी, बांसुरी, मजिरा ताल...डांड्यू-कांठ्यू ते गूंज्ये गे’’। होली के मौके पर आपने लगभग हर जगह इस गीत को सुना होगा।
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शब्दों का ऐसा मायाजाल बुना गया है कि आप पल भर के लिए खुद को इस गीत से दूर नहीं कर पाएंगे। रिकॉर्ड तैयार हो रहा है जनाब...सिर्फ 9 दिन के भीतर ही यू-ट्यूब पर 5 लाख 33 हजार से ज्यादा लोग इस वीडियो को देख चुके हैं। आज तक ऐसा नहीं हुआ है शायद। ये पहली बार हो रहा है कि किसी उत्तराखंडी गीत ने सिर्फ 9 दिन में 5 लाख 33 हजार से ज्यादा व्यूज बटोर लिए। ये उन लोगों को लिए एक जवाब है, जो सोचते थे कि नेगी दा की उम्र ढल गई है... गलत सोचते थे। मेगास्टार ने इस मैदान पर वापसी की...ओपनिंग की और खुद को स्ट्राइक पर रखा। पहली बॉल में छक्का जड़ दिया। अगर आप उत्तराखंड की संस्कृति, राजनीति, रीति-रिवाजों को बारीकी से जानना चाहते हैं, तो नेगी जी के गीतों को सुनिए और समझिए। क्योंकि बाप बाप होता है और बेटा बेटा।
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दरअसल नरेंद्र सिंह नेगी जी से हर उत्तराखंडी का एक कनेक्शन है। भावनात्मक कनेक्शन, जो सदियों से चला रहा है। हमारी भावनाएं जो संस्कृति, रिति-रिवाज, परंपराओं के रूप में उफान मारती हैं। उस ज्वार को नेगी दा ने संभाला हुआ है। सलाम ऐसी शख्सियत को। मन है तो एक बार फिर सुन लीजिए...होली ऐगे...देखिए