देवभूमि की वो महारानी, जिसने शाहजहां को हराया, 30 हजार मुगलों की नाक काटी
Mar 8 2018 11:35AM, Writer:आदिशा
बहुत कम उत्तराखंडी शायद इस बात के बारे में जानते होंगे। अतीत के पन्नों से हम आपके लिए उत्तराखंड के शौर्य की एक दास्तान लेकर आए हैं। हमें यकीन है आपको ये कहानी पढ़कर गर्व होगा और आप लोगों तक उत्तराखंड की इस शौर्यगाथा को शेयर करेंगे। ये कहानी है गढ़वाल की रानी कर्णावती की। इस रानी ने मुगलों की बाकायदा नाक कटवायी थी और इसलिए कुछ इतिहासकारों ने उनका जिक्र नाक कटी रानी या नाक काटने वाली रानी के रूप में किया है। रानी कर्णावती ने गढ़वाल में अपने नाबालिग बेटे पृथ्वीपतिशाह के बदले तब शासन का कार्य संभाला था, जबकि दिल्ली में मुगल सम्राट शाहजहां का राज था। शाहजहां के कार्यकाल के दौरान बादशाहनामा लिखने वाले अब्दुल हमीद लाहौरी ने भी गढ़वाल की इस रानी का जिक्र किया है यहां तक कि नवाब शम्सुद्दौला खान ने 'मासिर अल उमरा' में उनका जिक्र किया है।
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इटली के लेखक निकोलाओ मानुची जब सत्रहवीं सदी में भारत आये थे तब उन्होंने शाहजहां के पुत्र औरंगजेब के समय मुगल दरबार में काम किया था। उन्होंने अपनी किताब 'स्टोरिया डो मोगोर' यानि 'मुगल इंडिया' में गढ़वाल की एक रानी के बारे में बताया है जिसने मुगल सैनिकों की नाट काटी थी। माना जाता है कि स्टोरिया डो मोगोर 1653 से 1708 के बीच लिखी गयी थी जबकि मुगलों ने 1640 के आसपास गढ़वाल पर हमला किया था। रानी कर्णावती पवांर वंश के राजा महिपतशाह की पत्नी थी। महिपतशाह जब स्वर्ग सिधार गये।तो राजगद्दी पर उनके सात साल के पुत्र पृथ्वीपतिशाह ही बैठे लेकिन राजकाज उनकी मां रानी कर्णावती ने चलाया। गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर को बनाया गया और वहां से रानी कर्णावती ने अपना राज-पाठ संभाला।
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इस बीच शाहजहां ने गढ़वाल पर आक्रमण करने का फैसला किया। 30 हजार घुड़सवारों और पैदल सेना के साथ गढ़वाल की तरफ कूच कर गया था।लेकिन रानी कर्णावती ने उन्हें अपनी सीमा में घुसने दिया। पहाड़ी रास्तों से अनभिज्ञ मुगल सैनिकों के पास खाने की सामग्री समाप्त होने लगी। उनके लिये रसद भेजने के सभी रास्ते भी बंद थे। रानी चाहती तो उसके सभी सैनिकों का खत्म कर देती लेकिन उन्होंने मुगलों को सजा देने का नायाब तरीका निकाला। रानी ने संदेश भिजवाया कि वह सैनिकों को जीवनदान दे सकती है लेकिन इसके लिये उन्हें अपनी नाक कटवानी होगी। सैनिकों को भी लगा कि नाक कट भी गयी तो क्या जिंदगी तो रहेगी। मुगल सैनिकों के हथियार छीन दिये गये थे और आखिर में उनके एक एक करके नाक काट दिये गये थे। कहा जाता है कि शाहजहां इस हार से काफी शर्मसार हुआ था। ये है गढ़वाल की रानी कर्णावती की कहानी।