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Video: शाबाश पांडवाज़...उत्तराखंड का नाम यूं ही रोशन करना, देश ने प्राइम टाइम में देखा ‘फुलारी’

Mar 15 2018 2:07PM, Writer:आदिशा

एनडीटीवी का प्राइम टाइम। देश के बड़े और कद्दावर पत्रकारों में से एक कहे जाने वाले रवीश कुमार देश और दुनिया की तमाम खबरों से सभी को रू-ब-रू करा रहे थे। चुनाव की बात हुई, स्टीफन हॉकिंग की बात हुई, प्रोफसर दक्ष लोहिया की बात हुई और अब बारी उनकी थी, उत्तराखंड में मनाए जाने वाले पुराने पर्व और नए उत्साही युवाओं की। दुनिया के सबसे अनोखे त्योहार फूलदेई (फुलारी का नाम रवीश की जुबां पर आया। जी हां फुलारी...जब बच्चे द्वार द्वार पर फूलों की टोकरी लेकर खुशियां और दुआएं बांटते हैं। रवीश कहते हैं कि ‘क्या हम अपने पारंपरिक त्योहारों को भूलते जा रहे हैं? वो तो सोशल मीडिया है, जो हमें इन त्योहारों की झलकें गाहे बगाहे दिखा जाती हैं, वरना सालों की परंपरा से हासिल कई कीमती चीजें हम भूलते जा रहे हैं। वो परंपराएं जो हमें प्रकृति और इंसानियत के करीब लाती हैं’’।

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रवीश आगे कहते हैं कि ‘उत्तराखंड में ऐसा ही एक पर्व है फूलदेई, जो चैत्र की संक्रांति को मनाया जाता है।इस दिन गांव के बच्चे जंगल से फूल चुनकर लाते हैं और लोकगीत गाते हुए घरों की देहरी पर सजा देते हैं। बदले में उन्हें दक्षिणा मिलती है’। रवीश कहते हैं कि ये बसंत का उल्लास मनाने का खूबसूरत त्योहार है।’ इसके बाद बात हुई पांडवाज़ यानी ईशान डोभाल, कुणाल डोभाल और सलिल डोभाल की। रवीश कहते हैं कि ‘उत्तराखंड में कुछ उत्साही युवकों के ग्रुप पांडवाज ने इस पर एक शानदार वीडियो बनाया है, जो अंत में ये बताते हुए खत्म होता है कि अपनी बेइंतहा खूबसूरती के बावजूद उत्तराखंड के गांव कैसे खाली हो रहे हैं। इसके बाद पांडवाज़ के फुलारी गीत को देश के सामने प्रस्तुत किया गया। वो गीत जिसने हर उत्तराखंडी के दिल को छुआ होगा, वो वीडियो जिसे देखकर उत्तराखंड से बाहर रह रहे लोगों कि दिल पलभर के लिए भर जाता है।

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आखिर में रवीश कहते हैं कि ‘हमारी और आपकी स्मृतियों में गांव भले ही वैसा का वैसा हो, मगर गांव अब वैसा का वैसा नहीं है। वो खाली हो गए हैं। उत्तराखंड के गांवों में आपको हजारों घर ऐसे मिलेंगे, जहां अब कोई नहीं रहता। जो लड़का फूलदेई के मौके पर घर लौट रहा है ये सोचकर कि गांव में सब होंगे...कोई नहीं है, सब जा चुके हैं’’। वैसे तो आपने ये वीडियो देख लिया होगा, एक बार फिर से देख लीजिए।


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