image: Stone rain in kuvari village

उत्तराखंड के कुंवारी गांव में हो रही है पत्थरों की बारिश, खेतों में पड़ी दरारें, खतरे में 400 लोग !

Mar 15 2018 6:04PM, Writer:कपिल

उत्तराखंड का एक गांव ऐसी भी है, जहां लगातार पत्थरों की बारिश हो रही है। लोग हैरान हैं, भयभीत हैं और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं बागेश्वर के कुंवारी गांव की। जी हां इस गांव में हालात लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं। गांव के ठीक पीछे पहाड़ी से लगातार बड़े बड़े पत्थर गिरते जा रहे हैं। 30 परिवारों को टेटों में जगह दी गई है। बताया जा रहा है कि यहां प्रशासन ने खतरे में आए 30 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया है। आपदा से प्रभावित लोगों और परिवारों के लिए खाने की सामग्री समेत जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है। ये सिलसिला 10 मार्च की शाम से शुरू हुआ था। 10 मार्च की शाम को कुंवारी गांव में अचानक भूस्खलन शुरू हो गया था। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र के हालात जानने के लिए कपकोट के एसडीएम रवींद्र सिंह बिष्ट गए थे। वो वापस लौट आए हैं और उन्होंने ही बताया है कि कुवांरी गांव में हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे हैं।

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इससे पहले यहां 2015 में कुछ परिवारों को बैकुनीधार में शिफ्ट किया गया था, बताया जा रहा है कि बैकुनीधार भी प्राकृतिक आपदा की जद में है। पहले यहां रह रहे 16 परिवारों को आपदा को देखते हुए शिफ्ट किया गया था। लेकिन पत्थर लगातार गिरते जा रहे हैं और अब सभी 30 परिवारों को शिफ्ट कर दिया है। एसडीएम रवींद्र सिंह का कहना है कि इन तमाम परिवारों को चौड़ाडब पर टैंटों में रखा गया है। चौड़ाडब भूस्खलन से लगभग आठ सौ मीटर की दूरी पर है और इसे सुरक्षित बताया गया है। एसडीएम का कहना है कि पूरा नया और पुराना कुंवारी गांव खतरे में है। आलम ये है कि यहां खेतों में भी दरारें पड़ रही हैं। इस दरारों को साफ तौर पर देखा जा सकता हैं। ऊपर की पहाड़ी से बिना रुके पत्थरों की बरसात हो रही है। परेशानी यहीं खत्म नहीं होती, नीचे की ओर से जमीन भी धंस रही है। इस कुंवारी गांव से सटा है चमोली जिले का झलिया गांव

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झलिया गांव में भी हालत कमोबेश वैसे ही हैं। पहाड़ी से गिर रहे पत्थरों से कोई हादसा ना हो, इस वजह से ग्रामीणों को अलर्ट भी कर दिया गया है। उधर, ग्राम प्रधान किशन सिंह दानू का कहना है कि गांव के लोग दो दशकों से यहां आपदा का दंश झेल रहे हैं। गांव खतरे की जद में है और इस वजह से सभी ग्रामीण डरे हुए हैं और भविष्य के लिए परेशान हैं। कुंवारी गांव में भूस्खलन की घटना के बाद भू वैज्ञानिक भी यहां पहुच रहे हैं। भू वैज्ञानिक के लौटने के बाद रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। इस वक्त में 110 परिवारों की लगभग 400 लोगों की आबादी कुंवारी गांव के अलग-अलग तोकों में निवास करती है। अगर पूरे गांव के दायरे में खतरा नजर आया तो मौजूद पूरे गांव को विस्थापित करना पड़ सकता है।


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