उत्तराखंड में अब सिर्फ 5 घंटे में बनेगा घर, 2 घंटे में शौचालय...कीमत सबसे कम होगी
Mar 24 2018 11:18AM, Writer:आदिशा
टेक्नोलॉजी लगातार आगे बढ़ती जा रही है। जिस घर को बनाने में आपको करीब करीब एक साल लग जाता था, वो अब उत्तराखंड में 5 घंटे में ही तैयार होगा। जिस शौचालय को तैयार करने में आपको 6 महीने लग जाते हैं, अब वो उत्तराखंड में सिर्फ 2 घंटे में तैयार होगा है। मध्यप्रदेश में ये प्रोजक्ट शुरू हो चुका है और अब उत्तराखंड में इस प्रोजक्ट को लाया जा रहा है। जी हां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो कमरों और रसोई वाले मकान बन रहे हैं। इस मकान की खूबी ये है कि ये भूकंपरोधी मकान हैं। इसके अलावा ये सुरक्षित और टिकाऊ मकान सिर्फ 5 घंटे में ही बनकर तैयार होगा। उत्तराखंड में भी हजारों परिवारों को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसकी खूबियां भी जानिए। मकान चाहे कितना ही छोटा क्यों ना हो, लेकिन इसे बनाते बनाते और व्यवस्था करने में ही दम निकल जाता है। दो कमरों और रसोई वाला मकान बनाने का बजट भी काफी ज्यादा होता है।
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लेकिन पीएम आवास योजना के तहत ऐसा मकान तैयार हो रहा है, जो सिर्फ 5 घंटे में ही बनकर तैयार हो जाएगा। पांच घंटे में ही आपके सामने दो कमरे, रसोई और शौचालय युक्त मकान बनकर तैयार होगा। इसकी कीमत सिर्फ सवा लाख रुपये तय की गई है। ये मकान भूकंपरोधी होगा और 300 स्क्वायर फीट में बनकर तैयार होगा। इसमें छोटा हाल, एक कमरा, बाथरूम, एक रसोई, शौचालय और बाहर दोपहिया वाहन खड़े करने की जगह दी जा रही है। यूनीसेफ से मान्यता प्राप्त इस मकान में दीमक, चटक, सीलन जैसी परेशानियां भी नहीं होंगी। अब टॉयलेट की बात करते हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि राज्य में अभी भी करीब 25 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनके पास टॉयलेट नहीं है। हजारों परिवार ऐसे भी हैं, जिनके पास सिर ढकने के लिए अदद छत भी नहीं है। अब आपको इसकी खूबियां भी बताते हैं। इस प्रोजक्ट के मैनेजर संजय घाटगे हैं। उनका कहना है कि वो आरसीसी रेडीमेड टॉयलेट बना रहे हैं।
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एक टॉयलेट की कीमत 11 हजार रुपये रखी गई है। जहां से ऑर्डर आता है, वहां पहले आरसीसी के रेडीमैड स्लैब ले जाए जाते हैं। इन्हें नट और बोल्ट द्वारा कसा जाता है। सिर्फ दो घंटे में ही टॉयलेट तैयार कर दिया जाता है। इस टॉयलेट की खास बात ये है कि इसे आप जहां मन चाहे, वहां स्थापित कर सकते हैं।इस बात की गारंटी है कि ये टॉयलेट 35 साल के लंबे वक्त तक टिकेगा। इस टॉयलेट का साइज चार गुणा चार है। टॉयलेट के ही साइज का सोकपिट यानी टैंक जमीन के अंदर डाल दिया जाता है। इसकी दीवारें जालीनुमा होती हैं। इसी सोकपिट में मल जाता है। सोकपिट की स्लैब तरल को सोख लेती हैं और बचा हिस्सा बहुउपयोगी खाद के रूप में बदलस जाता है। खास बात ये भी है कि इस टॉयलेट में लगने वाली शीट सामान्य शीट से जरा हटकर है। ये शीट कम पानी में ही साफ हो जाती है। इसके अलावा टॉयलेट के बाहर हाथ धोने के लिए छोटा सा वॉशबेसिन और 55 लीटर की पानी की टंकी आपको लगी मिलेगी। संजय घाटगे का कहना है उत्तराखंड सरकार से इस बारे में बात चल रही है।