उत्तराखंडियों के लिए गर्व का पल है, गैरसैंण की खबरों से फुर्सत मिल गई हो तो ये देखिए
Mar 26 2018 10:32AM, Writer:आदिशा
हम उत्तराखंडियों के लिए आज गर्व का पल है। गौरवान्वित होने का मौका हमें खुद गूगल ने दिया है। अगर आपके पास वक्त है तो अपने कंप्यूटर या फिर मोबाइल पर गूगल.कॉम टाइप करें और देखिए। गूगल ने इस बार गौरा देवी को सलाम किया है। आज चिपको आंदोलन की 45वीं सालगिरह है। इस चिपको मूवमेंट को गूगल ने अपना डूडल बनाया है। आपको बता दें कि गूगल दुनिया की हर महान हस्ती, हर महान काम, हर महान आविष्कार, हर महान आंदोलन, हर महान शख्सियत को लोगों को याद दिलाने की कोशिश करता है। लोगों को इसे याद दिलाने के लिए गूगल खुद ही अपने डूडल तैयार करता है। उत्तराखंड के लिए गर्व की बात ये है कि गूगल ने इस बार उत्तराखंड के चिपको आंदोलन को अपना डूडल बनाया है। आइए आपको चिपको मूवमेंट के बारे में बता देते हैं।
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उत्तराखंड के लोग यानी हमारे पूर्वज हमेशा से ही जल, जीवन ,ज़मीन और जंगल की रक्षा के लिए सबसे आगे खड़े रहे हैं। चिपको आंदोलन की जननी हैं गौरा देवी, जिन्हें उत्तराखंड युगों युगों तक याद रखेगा। साल 1974 की बात है जब चमोली के रैंणी गांव में सड़क निर्माण के लिए 2451 पेड़ों को काटने की तैयारी चल रही थी। कोई नहीं जानता था कि ये तैयारी एक बड़े आंदोलन को जन्म दे देगी। कोई नहीं जानता था कि एक आंदोलन की वजह से उत्तराखंड की नारी शक्ति का नाम दुनियाभर में सम्मान से लिया जाएगा। ठेकेदार और जंगलात द्वारा पेड़ों को काटने की तैयारी चल रही है। बताया जाता है कि गांव के सभी पुरुष किसी वजह से गांव से बाहर गए थे। इसके बाद भी गोपेश्वर में महिलाओं द्वारा एक रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का नेतृत्व गौरा देवी ने किया था।
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गौरा देवी ने सभी महिलाओं में नारी शक्ति की भावना को जागृत करने का काम किया। यहां से एक रिवॉल्यूशन का जन्म हो गया। पेड़ों को बचाने के लिए सभी महिलाएं पेड़ों से चिपक गयी। महिलाओं को श्रमिकों ने जान से मारने की धमकी दी, लेकिन मजाल है कि पहाड़ की नारी शक्ति पर एक खंरोच भी आई हो। शर्म की बात तो तब हुई जब श्रमिकों द्वारा महिलाओं पर थूका गया। लेकिन पहाड़ की महिलाएं किसी भी कीमत पर अपने पेड़ों को कटने नहीं देना चाहती थी। आखिर में हार कर ठेकेदारों को मुंह की खानी पड़ी | पेड़ों को बचाने के लिए उनपर चिपकने की वजह से इस आन्दोलन का नाम “चिपको आन्दोलन” पड़ा | पर्यावरण के प्रति अतुलनीय प्रेम का प्रदर्शन करने के लिए गौरा देवी ने ऐतिहासिक काम किया था। गौरा देवी ने के इस काम ने उन्हें रैंणी गांव की गौरा देवी से “चिपको वूमेन फ्राम इण्डिया” बना दिया। जय उत्तराखंड