Video: उत्तराखंड का सच्चा सपूत, जिसे देश के रक्षा मंत्री और आर्मी चीफ ने किया सलाम
Mar 29 2018 9:26AM, Writer:आदिशा
किसी भी काम को करने के लिए लगन का होना जरूरी है। दृढ़ निश्चय और आत्मबल ही आपको एक सही और अदद मुकाम तक पहुंचाता है। उत्तराखंड के सपूतों ने अपने आत्मबल और दृढ़ संकल्प के जरिए ही अविस्मरणीय कहानिंयां लिखी हैं। इन्हीं सपूतों में से एक हैं कर्नल अजय कोठियाल, जिन्हें आज पहचान की जरूरत नहीं। सीने पर गोली खाने वाले और 7 आतंकियों को मारने वाले इस कर्नल को अपनी वीरता का परिचय देने की जरूरत नहीं। खुद देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और देश के आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत भी मानते हैं कि उत्तराखंड में एक वीर सपूत ऐसा है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहा है। देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण कहती हैं कि कर्नल कोठियाल के सेल्फ मोटिवेशन के कॉन्सेप्ट को देशभर में फैलाना जरूरी हो गया है।
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रक्षा मंत्री के मुताबिक देश को पता चलना चाहिए कि किस तरह से कर्नल कोठियाल उत्तराखंड के युवाओं को सेना में भर्ती करने का काम कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की बीते चार साल में उत्तराखंड के करीब 3 हजार युवा गढ़वाल राइफल या फिर कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हो चुके हैं। लड़के तो लड़के ...अब कर्नल कोठियाल पहाड़ की बेटियों को भी सेना में भर्ती करने की राह दिखा रहे हैं। देश की रक्षा मंत्री का कहना है कि उत्तराखंड और यहां के युवाओं के लिए कर्नल अजय कोठियाल ने प्रगतिशील सोच अखितियार की है, और ये सबसे बेहतर है। सिर्फ निर्मला सीतारमण ही नहीं बल्कि देश के आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि उत्तराखंड के लिए कर्नल कोठियाल एक दिशा देने का काम कर रहे हैं, युवाओं की सोच बदल रहे हैं।
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इसके साथ ही आर्मी चीफ ने कहा कि कर्नल कोठियाल युवाओं को नया रास्ता दिखा रहे हैं और ये देश के लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं। कर्नल कोठियाल ने केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। देश की सेना में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सेना में अपना भविष्य तलाश रही पहाड़ की बेटियों को तीन महीने की ख़ास ट्रेनिंग दी जा रही है। मकसद सिर्फ एक है कि पहाड़ की बेटियों के अात्मबल को और ज्यादा बढ़ाया जाए। साल 1992 में अजय कोठियाल चौथी गढ़वाल राइफल में एक सैन्य अधिकारी के रूप में शामिल हुए। देश की रक्षा के लिए कर्नल अजय कोठियाल ने सीने पर दो गोलियां झेली और 7 आंतकियों को भी मार गिराया। कीर्ती चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित इस वीर कर्नल को जितनी बार सलाम करें, उतना ही कम है।