उत्तराखंड की बेटी...जो ना तो स्कूल गई, ना ही ट्यूशन...सीधे दिए बोर्ड के पेपर
Mar 29 2018 5:40PM, Writer:कपिल
रास्ते हैं तो मंजिलें हैं, मंजिलें हैं तो हौसला है, हौसला है तो विश्वास है, विश्वास है तो जीत है। ये डॉयलॉग उत्तराखंड की मृणाल पांगती पर एकदम फिट बैठता है। अल्मोड़ा के सल्ला गांव में रहने वाली इस बच्ची ने कभी स्कूल जाकर पढ़ाई नहीं की, लेकिन इस बच्ची बोर्ड के पेपर दिए हैं। इसके लिए आप सबसे पहले इनके पिता को सलाम करेंगे, जिनका कहना है कि आज के दौर में स्कूलों में बच्चे वो ज्ञान हासिल नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी छात्रों को जरूरत है। उनकी बेटी मृणाल पांगती ने बिना स्कूल में पढ़े ही ज्ञान हासिल किया है। इस बच्ची ने बोर्ड के एग्जाम भी दे डाले। मृणाल 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा में बैठी। घर में मिले ज्ञान के दम पर और पिता के बताए रास्ते पर चलते हुए वो अपनी जिंदगी में आगे का सफर तय कर रही है। मृणाल पांगती ने मार्च 2018 में पहली बार बोर्ड की परीक्षा दी।
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ओपन स्कूल के माध्यम से इस बच्ची ने 10वीं के पेपर दिए हैं। मृणाल के पिता हैं नवीन पांगती है। नवीन पांगती मूल रूप से मुनस्यारी के मिलम गांव के रहने वाले हैं। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ कफड़खान के करीब सल्ला गांव में रहते हैं। नवीन ने एनआईटी से बीटेक ओर आईआईटी मुम्बई से ग्राफिक डिजाइनिंग की है। इसके बाद नवीन पांगती अपने परिवार के साथ गुड़गांव में रहे। उनका मन पहाड़ में ही रहने का था। दो साल पहले सल्ला गांव में आए हैं और ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना रहे हैं। उनका कहना है कि व्यावहारिक ज्ञान आज के दौर में स्कूलों में नहीं मिलता। वो कहते हैं कि बेटी ने अपने जीवन की पहली परीक्षा दी और इस दौरान वो नहीं घबराई। माता-पिता ने बेटी को रफ्तार से पढ़ने के लिए उसे खुद ही पढ़ाई करने दी। नवीन कहते हैं कि अगर चलना सीखना है, तो बैसाखियां हटा देनी चाहिए।
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गणित और विज्ञान जैसे विषय भी मृणाल पांगती ने खुद ही पढ़े। उनका कहना है कि आज के दौर में स्कूल में टीचर सही ढंग से नहीं पढ़ाते और इस वजह से बच्चों को ट्यूशन जाना पड़ता है। अगर बच्चों को स्व-शिक्षण की आदत डलवाई जाए, तो इससे बेहतर कुछ नहीं होता। आज के दौर में स्कूलों में ये ही नहीं हो रहा। शुरुआत में मृणाल को भी गुड़गांव में दूसरी कक्षा तक पढ़ाया लेकिन उसके बाद वहां से निकाल लिया। 15 साल की मृणाल पांगती ने अब जिंदगी की पहली परीक्षा दी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग में 10वीं की परीक्षा के लिए उन्होंने ऑन लाइन आवेदन किया था। मृणाल ने सारे पेपर देहरादून में दिए। 27 मार्च को उनका आखिरी पेपर था। मृणाल बताती हैं कि वो वकालत या फिर मनोविज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं। सलाम है ऐसे माता-पिता और ऐसे बेटियों को।