image: Story of jageshwar temple of uttarakhand

उत्तराखंड में भगवान शिव का वो मंदिर, जहां धरती का पहला शिवलिंग मौजूद है !

Apr 12 2018 12:10AM, Writer:आदिशा

उत्तराखंड प्राचीन काल से देवों की भूमि कही जाती है। आज हम आपको इस देवभूमि के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जहां आकर कल्पनाओं को विराम मिलता है, मन को असीम शांति और देैवीय शक्ति पर विश्वास होने लगता है। ये जगह किसी से छुपी नहीं है। उत्तराखंड में अल्मोड़ा से महज़ 35 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है जागेश्वर धाम, जिसके नाम से साफ है कि महादेव का जागृत धाम। नागेश के रूप में शिवालय है जागेश्वर धाम। कहा जाता है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा का जो प्राचीन मार्ग है, उसी में जागेश्वर धाम पड़ता है। इस मंदिर का जिक्र चीन के यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी यात्रा संस्मरण में किया है। जागेश्वर धाम अलग अलग मंदिर समूहों से बनी महादेव की सबसे बड़ी तपस्थली कही जाती है। यहां मौजूद ज्यादातर मंदिरों का निर्माण कत्युरी राजवंशियों द्वारा किया गया था।

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इतिहासकार बताते हैं कि कत्यूरी शासकों ने यहां 7 वीं.शताब्दी से 14 वीं शताब्दी तक राज किया। इसके बाद 15 शताब्दी से इन मदिरों की देखभाल की चन्द्रवंशी शासकों ने की थी। स्कन्द पुराण के मानस खण्ड में जागेश्वर के ज्योतिर्लिंग के बारे में बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार 8वां ज्योतिर्लिंग, नागेश, दरुक वन में स्थित है। ये नाम दरूक यानी देवदार के नाम से दिया गया है। देवदार के वृक्ष इस मंदिर के चारों ओर फैले हुए हैं। इस मंदिर के पास ही एक छोटी नदी है, जिसे जटा गंगा यानी शिव जी की जटाओं से निकली गंगा कहा जाता है। कहा जाता है कि यहाँ का शिवलिंग स्वयंभू है। इसकी एक कहानी भी है। कहा जाता है कि अपने ससुर दक्ष प्रजापति का वध करने के बाद, भगवान् शिव ने अपने शरीर पर सती के भस्म से अलंकरण किया। इसके बाद यहीं ध्यान में बैठ गए।

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कहा जाता है कि इस दौरान यहाँ निवास करने वाले ऋषियों की पत्नियां शिव के रूप पर मोहित हो गयीं थीं। इस वजह से तमाम ऋषि क्रोधित हो गए। उन्होंने भगवान शिव को लिंग विच्छेद का श्राप दिया था। लेकिन जैसे ही ये हुआ तो धरती पर अन्धकार छा गया था। इस समस्या से निपटने के लिए ऋषियों ने शिव सदृश लिंग स्थापना की और उसकी आराधना की। कहा जाता है कि ये ही धरती का पहला शिवलिंग है और उसी वक्त से लिंग पूजन की परंपरा आरम्भ हुई। कहा जाता है कि इस शिवलिंग के नीचे पानी का कोई जीवित स्त्रोत है क्योंकि यहां से पानी के बुलबुले निकलते दिखाई पड़ते हैं। अगर आपको जीवन में कभी भी वक् मिले तो जागेश्वर धाम जरूर जाएं। प्रकृति और देवताओं को बेहद करीब से जानना है तो जागेश्वर धाम आपके लिए चमत्कार से कम नहीं।


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