देहरादून में पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर का निधन, उत्तराखंड को BCCI से मान्यता दिलाना चाहते थे
May 10 2018 12:30PM, Writer:आदिशा
वो बीते कई सालों से उत्तराखंड को BCCI से मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने हर बार कोशिश जारी रखी और इसी का नतीजा है कि जल्द ही उत्तराखंड को BCCI से मान्यता मिल सकती है। वो राजेंद्र अब नहीं रहे। 1964 में मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज से उन्होंने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। राइट हैंड बैटिंग स्टाइल और राइट आर्म फास्ट मीडियम गेंदबाजी के चलते उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल किया गया था। पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर राजेंद्र पाल ने देहरादून में आखिरी सांस ली। जीवन के अस्सी सालों को पार कर चुके राजेंद्र पाल को दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद उन्हें महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर्स ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा हुआ था।
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इलाज के दौरान ही उन्होंने आखिरी सांस ली। राजेंद्र पाल वो चेहरा हैं, जिन्होंने उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड को BCCI से मान्यता दिलवाने के लिए लगातार प्रयास किए। लगातार संघर्षों का नतीजा ये रहा कि अब BCCI जल्द ही उत्तराखंड बोर्ड को मान्यता दे सकता है। इसके अलावा राजेंद्र पाल यूनाइटेड क्रिकेट ऑफ एसोसिएशन के सचिव भी थे। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। बताया जा रहा है कि बीते तीन दिन से उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी। हालत में सुधार नहीं हो रहा था। राजेंद्र पॉल अपने पीछे दो बेटे दीपक, विवेक और अपनी पत्नी को छोड़ गए हैं। भारतीय क्रिकेट के इस पूर्व खिलाड़ी को 6 मई को हार्ट अटैक आया था। डॉक्टरों द्वारका सीएम को बताया गया है कि राजेंद्र पाल के फेफड़ों और किडनी ने काम करना बंद कर दिया था।
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बीते 18 सालों से राजेंद्र पाल देहरादून के शिमला बाई पास रोड स्थित 40 प्रकाश लोक कॉलोनी में रह रहे थे। राजेंद्र पाल मूल से दिल्ली के रहने वाले थे। उत्तराखंड में क्रिकेट गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वो 18 साल से काम कर रहे थे। राजेंद्र पॉल के क्रिकेट करियर पर भी एक नज़र डालिए। उन्होंने 98 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं। इनमें उन्होंने 1040 रन बनाए थे। इसके अलावा उनका गेंदबाजी करियर अच्छा खासा रहा है। 98 फर्स्ट क्लास मैचों में राजेंद्र पॉल ने 337 विकेट लिए थे। राजेंद्र पाल का जाना वास्तव में उत्तराखंड के लिए अपूर्णीय क्षति है। उनकी कोशिशों का नतीजा ही था कि कुछ वक्त पहले बीसीसीआई के अधिकारियों ने उत्तराखंड बोर्ड को मान्यता दिलवाने के लिए एक मीटिंग की थी। राज्य समीक्षा की पूरी टीम की तरफ से राजेंद्र पाल को नमन।