image: Lieutenant hitesh kumar story

पिता करगिल में शहीद हुए थे, तो बेटा पिता की बटालियन में अफसर बनकर आया

Jun 13 2018 2:15PM, Writer:कपिल

ये है उत्तराखंड जो देश को हर साल वीर अफसरों की टोली देता है। ये देश के वीर जवानों के दिल में उठते देशभक्ति के ज्वार की अद्भुत कहानी है। जरा सोचिए...जिस बेटे के पिता करगिल युद्ध में शहीद हुए थे, वो बेटा अब उसी बटालियन में बतौर अफसर बनकर आया था। हाल ही में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में पासिंग आउट परेड हुई थी। उत्तराखंड की इंडियन मिलिट्री एकेडमी से देश को 383 आर्मी अफसर मिले। इन्हीं आर्मी अफसरों में से लेफ्टिनेंट हितेश कुमार पर सभी की नज़रें रहीं। हितेश कुमार करगिल के अमर शहीद लांस नायक बचन सिंह के बेटे हैं। लांस नायक बचन सिंह 1999 में करगिल युद्ध में शहीद हुए थे। पाकिस्तान के बीच जंग के मैदान में वीरता से लड़कर बचन सिंह शहीद हुए थे। अब बेटे ने भी खुद को देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। हितेश कुमार के बारे में कुछ और बातें जानकर भी आपको गर्व होगा।

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जब पासिंग आउट परेड हुई तो इसके बाद हितेश कुमार अपनी मां के साथ पिता की प्रतिमा पर पहुंचे। अपने पिता को याद किया और शायद अपने मन में कहा होगा कि ‘पिताजी आपके देश सेवा के जज्बे को सीखकर में भी वतन की रक्षा के लिए तैयार हूं।’ जब हितेश 6 साल के थे तो उनके पिता नायक बचन सिंह करगिल में शहीद हो गए थे। 12 जून 1999 को तोलोलिंग में नायक बचन सिंह ने अाखिरी सांस ली थी। पिता की आखिरी इच्छा थी कि बेटा सेना में अफसर बने। अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए हितेश कुमार ने जी जान लगा दी। बचपन से ही उन्होंने सेना में भर्ती होने का सपना देखा था। नौ जून 2018 को हितेश की जिंदगी में वो पल आया, जब उन्होंने अपने पिता को उनकी ही बटालियन में लेफ्टिनेंट बनकर श्रद्धांजलि दी।

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पिता बचन सिंह राजपूताना राइफल्स की दूसरी बटालियन में तैनात थे, तो बेटे ने भी राजपूताना राइफल्स ज्वॉइन की है। 19 साल से हितेश की आंखें बस एक सपना देख रही थीं कि पिता की बटालियन में जाकर अफसर बनेंगे, तो पिता को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी। हितेश ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वो इतने खुश हैं कि बयां नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब हितेश के छोटे भाई हेमंत भी भारतीय सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं। हितेश की मां कहती हैं कि पति के शहीद होने के बाद उन्होंने मन में ठान ली थी कि बेटे को देश की सेना में बतौर अफसर भेजेंगी। ये ही उसके पिता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। धन्य हैं उत्तराखंड के ऐसे सपूत और धन्य हैं ऐसी वीर माताएं, जो देश के लिए कुर्बान होने में ज़रा सा भी नहीं घबराते।


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