नीति आयोग की बैठक में CM त्रिवेंद्र ने रखे उत्तराखंड के मुद्दे, PM मोदी को बताई बड़ी बातें
Jun 17 2018 5:23PM, Writer:कपिल
दिल्ली में नीति आयोग की बैठक आयोजित की गई। उस बैठक में उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कई राज्यों के सीएम मौजूद थे। बैठक में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड की समस्याओं को सभी के सामने रखा। साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा किए जा रहे कामों के बारे में भी जानकारी दी। इस बैठक में सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि उत्तराखंड के विकास में जलविद्युत की अहम भूमिका हो सकती है। जलविद्युत ऊर्जा को क्लीन ऊर्जा बताते हुए सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि स्वीकृत जलविद्युत परियोजनाओं को बंद किया जाना राज्य के विकास के लिए उचित नहीं है। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि पर्वतीय और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अलग से मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए। अगर ऐसा करना सम्भव न हो तो नीति आयोग में ‘पर्वतीय प्रकोष्ठ’ स्थापित किया जाना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाले राज्यों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बैठक में कहा कि पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए देश में ग्रीन एकाउंटिंग प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने आपदा की दृष्टि से अति संवदेनशील गांवों के विस्थापन में भारत सरकार से तकनीकी और वित्तीय सहयोग की मांग की है। आपको बता दें कि इस वक्त भी बारिश और आसमानी आफत की वजह से उत्तराखंड के कई जिलों में लोग परेशानी में हैं। इसलिए सीएम त्रिवेंद्र ने भारत सरकार से इसमें सहयोग की मांग की है। नीति आयोग की बैठक में उन्होंने कहा कि 2022 तक न्यू इंडिया के लिए उत्तराखण्ड सरकार 25 महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर मिशन मोड में काम कर रही है। किसानों की आय को दोगुना करने, पर्वतीय क्षेत्रों से डिस्ट्रेस्ड माईग्रेशन को रोकने और डिजीटल उत्तराखण्ड पर विशेष तौर पर फोकस किया गया है और उत्तराखण्ड में प्रत्येक स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री मॉनीटरिंग डैशबोर्ड ‘‘उत्कर्ष‘‘ की स्थापना की गयी है।
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‘उत्कर्ष’ डैशबोर्ड के माध्यम से महत्वपूर्ण योजनाओं और परिणामों की देखरेख सीधे मुख्यमंत्री के स्तर पर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। राज्य में एक लैंड होल्डिंग से वर्तमान में औसतन पचहत्तर हजार रूपये की कृषि आय अनुमानित है। इसे साल 2022 तक डेढ़ लाख रूपये किया जाना है। इसके लिए विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों की तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है। उत्तराखंड की कुल 16 मैदानी मण्डियों को अभी तक ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा जा चुका है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय मण्डियों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण हाटों को बढ़ावा देने के लिए हर न्याय पंचायत में ग्रोथ सेन्टर विकसित किया जायेगा। इसके पहले फेज़ में 50 न्याय पंचायतें चयनित की गई हैं।