पहाड़ का सपूत...शादी के लिए लड़की देखने घर आना था, वो तिरंगे में लिपटकर विदा हुआ
Jun 25 2018 8:37AM, Writer:आदिशा
इसे क्रूर किस्मत ना कहें तो क्या कहें ? देश की रक्षा में तैनात एक फौजी शादी के लिए लड़की देखने घर आने वाला था, वो तो नहीं आया लेकिन उसका तिरंगे में लिपटा शव उसके घर पहुंच गया। उत्तराखंड के पौड़ी जिले का लाल चला गया और ये कहानी जानकर हर किसी को गहरा दुख हुआ है। विकासखंड पाबो के कालों गांव के रहने वाले थे मनमोहन सिंह भंडारी। मनमोहन सिंह भंडारी 11 गोरखा राइफल्स में तैनात थे। मनमोहन की उम्र 24 साल की हो चुकी थी और हर परिवार की तरह इस उम्र में उनके परिवार वाले भी उनकी शादी करवाना चाहते थे। इसलिए मनमोहन भंडारी से सारी बातचीत हुई थी और मनमोहन भी परिवार की ये बात मान गए थे। सारी बात हो गई थी और मनमोहन जल्द ही घर आने वाले थे। लेकिन जब उनका तिरंगे में लिपटा शव घर पहुंचा तो परिवार वालों के आंसुओं का बांध टूट पड़ा।
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मनमोहन सिंह भंडारी 11 गोरखा राइफल्स में तैनात थे और एक भीषण हादसे में उन्होंने अपनी जान गंवा दी। राजकीय इंटरमीडिएट कालेज कालों से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनमोहन भंडारी सेना में भर्ती हो गए थे। आजकल मनमोहन भंडारी की रेजीमेंट देहरादून में तैनात है। उन्हें विभाग के ही किसी काम के लिए देहरादून से बरेली भेजा गया था। वो जब देहरादून वापस लौट रहे थे, तो एक हादसा हो गया। काठगोदाम-लखनऊ एक्सप्रेस से गिरकर उनकी मौत हो गई। बड़े भाई का शव घर पहुंचा तो छोटी बहन सुनीता और छोटे भाई नरेंद्र सिंह का दिल भर आया। मनमोहन के चार भाई और बहन हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है और छोटा भाई दिल्ली में एक कंपनी में काम करता है। उनके पिता भगत सिंह भंडारी भी सेना से रिटायर्ड हैं।
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परिवार का सबसे बड़ा बेटा एक हादसे का शिकार हो गया और ऐसे में ग्राम प्रधान कालो सुनीला देवी ने कहा कि इस घटना में अगर रेलवे विभाग की लापरवाही सामने आती है तो विभाग के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मनमोहन सिंह भंडारी को सैन्य सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी गई। पौड़ी के पाबो विकासखंड़ के कालो घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। मनमोहन भंडारी का शव जब कालों गांव पहुंचा तो पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। अलग अलग गावों से उनकी आखिरी विदाई में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। लैंसडौन से आए सेना के जवानों ने सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी। इसत किस्मत का क्रूर मज़ाक ना कहें तो और क्या कहें कि एक फौजी शादी के लिए लड़की देखने घर आ रहा था और रास्ते में एक हादसे में उनकी जान चली गई।