उत्तराखंडियों से सीखिए देशसेवा, सिर्फ एक जिले के 100 सपूत देश के लिए शहीद हो गए
Jun 26 2018 12:03PM, Writer:कपिल
कुर्बानी क्या होती है ? देशसेवा क्या होती है ? इन सब बातों का जवाब आपको उत्तराखंड की धरती पर मिल जाएगा। 13 जिलों की बात क्या करें ? पहले एक जिले में ही जाएंगे तो शहीदों के नामों से किताबें भर जाएंगी। देवभूमि के लिए इससे बड़े अभिमान की बात क्या होगी कि सिर्फ एक जिले से ही देश की सेवा में अब तक 100 सपूत अपनी जान दे चुके हैं। जी हां हाल ही में योगेश परगाई ने मातृभूमि के लिए अपनी जान दी। योगेश परगाई नैनीताल जिले के रहने वाले थे। क्या आप जानते हैं कि अकेले नैनीताल जिले से अब तक 100 वीर योद्धा देश के लिए न्यौछावर हो चुके हैं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि खुद जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। इस रिपोर्ट के बारे में जानकर आपको गर्व होगा कि आपने देवभूमि में जन्म लिया है।
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जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक देश की आजादी के बाद से अब तक 99 योद्धा देश के लिए शहीद हो चुके हैं। हाल ही में योगेश परगाई शहीद हुए तो ये आंकड़ा 100 पहुंच चुका है। चार कुमाऊं रेजीमेंट के जवान योगेश परगाई का नाम इस अमर जवानों की लिस्ट में शामिल हो चुका है। अकेले कुमाऊं में पूर्व सैनिकों और शहीदों की वीरांगनाओं की संख्या 75 हजार से ज्यादा है। ज़रा सोचिए कि पूरे उत्तराखंड में आंकड़ा क्या होगा। आपको जानकर गर्व होगा कि अकेले नैनीताल जिले में 10389 रिटायर्ड सैनिक हैं और 2726 शहीदों की वीरांगनाएं हैं। 1965 से लेकर 1971 और करगिल युद्ध तक नैनीताल के जवानों की वीरगाथाओं से भरे हैं। लांस नायक चंदन सिंह, मेजर आरएस अधिकारी, मोहन नाथ गोस्वामी, लांस नायक राम प्रसाद, खेम चंद्र डोर्बी और एमसी जोशी समेत कई ऐसे नाम हैं, जो देश के लिए हंसते हंसते कुर्बान हो गए।
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जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में जिले के शहीदों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है। आप भी आसानी से ये जानकारी ले सकते हैं। ये तो बात अकेले नैनीताल जिले की हुई। क्या आप जानते हैं कि करगिल युद्ध में उत्तराखंड के सबसे ज्यादा सपूत देश के लिए शहीद हुए थे? क्या आप जानते हैं कि देश को सबसे ज्यादा आर्मी अफसर देने के मामले में उत्तराखंड पहले स्थान पर है। जी हां जनसंख्या घनत्व के आधार पर उत्तराखंड ने इस मामले में उत्तर प्रदेश को भी पीछे छोड़ दिया है। ये ही नहीं देश को सबसे ज्यादा सैनिक देने के मामले में भी उत्तराखंड जनसंख्या घनत्व के आधार पर पहले पायदान पर है। हर बार, हर युद्ध में मौका पड़ने पर इन वीरों ने अपनी काबिलियत को भी साबित किया। इसलिए उत्तराखंड की दोनों रेजीमेंट (गढ़वाल और कुमाऊं) को देश की सबसे ताकतवर सेना कहा जाता है।