पहाड़ के रोशन रतूड़ी को सम्मान देंगे योगी आदित्यनाथ ? काम ही कुछ ऐसा कर दिखाया
Jul 2 2018 1:24PM, Writer:कपिल
573...जी हां ये आंकड़ा यूं तो कई मायनों में बड़ा होता है, लेकिन जब बात इंसानों की आती है तो सोचना लाज़मी है। उत्तराखंड का एक अकेला शख्स अब तक 573 लोगों की जान बचा चुका है। नाम तो आप जानते ही होंगे...टिहरी के हिंडोलाखाल के रहने वाले रोशन रतूड़ी अब तक विदेश में फंसे 573 लोगों के लिए देवदूत बन चुके हैं। रोशन रतूड़ी हर बार अपनी जान की परवाह किए बिना ही लोगों को बचाने के लिए निकल पड़ते हैं। इस बार उन्होंने उत्तर प्रदेश के ललन कुमार की जिंदगी बचा ली है। खास बात ये है कि रोशन रतूड़ी ने अब तक यूपी के 79 लोगों को दुबई के नर्क से निकालकर वतन वापस भेजा है। 79 का आंकड़ा छोटा नहीं होता जनाब। इसके लिए जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। कागजातों को ही पूरा करने में काफी वक्त लग जाता है।
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अकेले रोशन रतूड़ी अब तक उत्तर प्रदेश के 79 लोगों को मौत के मुंह से निकल चुके हैं। एक तरफ योगी आदित्यनाथ अपने एक्शन से यूपी के साथ साथ देश में फायरब्रांड सीएम बन चुके हैं तो दूसरी तरफ यूपी के 79 लोगों को बचाकर रोशन रतूड़ी की छवि एक मददगार के रूप में उभर रही है। रोशन रतूड़ी के चाहने वालों को इंतजार तो इस दिन का होगा जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा रोशन रतूड़ी को सम्मानित किया जाएगा। विदेश से किसी को घर लाने में किन मु्श्किलों का सामना करना पड़ता है, इस बात को रोशन रतूड़ी कई बार बता चुके हैं। ये बात एकदम सच है कि सरकार जो काम अब तक नहीं कर पाई, रोशन रतूड़ी ने वो कर दिखाया है। हाल ही में रोशन रतूड़ी ने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की है। इस पोस्ट की शुरुआत रोशन रतूड़ी ने ‘’नम्बर 573’’ लिखकर शुरु की है। आगे भी रोशन ने बहुत कुछ लिखा है।
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रोशन रतूड़ी ने लिखा है कि ‘एक और भारतीय भाई ललन कुमार जी, जो कि उतर प्रदेश के रहने वाले हैं। जो पिछले तीन सालों से विदेशी धरती में फंसे थे और बहुत दुखी थे। ललन कुमार कहते थे कि ‘मैंने कभी नही सोचा की मैं अपने वतन परिवार से मिल पाऊंगा’। रोशन रतूड़ी कहते हैं कि ‘दोस्तो इनके माता पिता भाई बहन बहुत परेशान थे। आप सबके आशीर्वाद से ललन कुमार का मुझसे सम्पर्क हो पाया। आज भाई ललन कुमार जी को शारजहां एयरपोर्ट से वतन उनके परिवार के पास भेज चुका हूं’। रोशन रतूड़ी कहते हैं कि ‘परिवार वाले ललन कुमार का बहुत बेसब्री से तीन साल से इंतज़ार कर रहे थे’।