पहाड़ के इस सरकारी स्कूल के आगे फेल हैं शहरों के प्राइवेट स्कूल, देशभर में तारीफ
Jul 15 2018 2:08PM, Writer:कपिल
"पहले आसन शुद्ध, फिर शिक्षा शुद्ध" ये विचार शायद ऐसी शिक्षा व्यवस्था के लिए भी बने हैं, जहां आने वाले भविष्य को अपना भविष्य तैयार करना है। ये बात भी सच है कि आज सरकारी स्कूलों के हालातों को देखकर रोना आता है। इसी दौर में कुछ ऐसे सरकारी स्कूल भी हैं, जहां शिक्षकों ने अपनी मेहनत के दम पर एक मिसाल खड़ी कर दी है। ऐसे ही पहाड़ में एक ऐसा सरकारी प्राथमिक स्कूल है, जो छात्रों के लिए शिक्षा के स्वर्ग से कम नहीं। ये है राजकीय प्राथमिक विद्यालय धौलछीना, विकासखंड-भैसियाछाना, जिला-अल्मोड़ा। यहां की शिक्षा व्यवस्था, साफ सफाई और बच्चों के बौदि्धक स्तर को देखकर कौन कहेगा कि ये एक सरकारी स्कूल है? इस स्कूल की अब देशभर में तारीफ होने लगी है। यहां स्मार्ट क्लास के जरिए बच्चों को डिजिटल एजुकेशन दी जाती है।
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आज इस स्कूल का हर बच्चा बेझिझक अंग्रेजी में बात करता है। पहाड़ के बाकी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटी है लेकिन इस स्कूल में छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस स्कूल में कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर शिक्षकों और अभिभावकों की मीटिंग होती है। साफ टॉयलेट, शिक्षाप्रद बातों के लिए टीवी स्क्रीन, मिड डे मील के लिए अलग से साफ कमरा इस स्कूल में मौजूद है।
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हर कक्षा में डिजिटल टेक्नोलॉजी से पढ़ाई, स्कूल का स्वच्छ वातावरण, सुंदर फुलवारी, यानी कुल मिलाकर कहें तो पहाड़ की शिक्षा व्यवस्था पर ये स्कूल चार चांद लगा रहा है। इस स्कूल के शिक्षक उमेश सिंह मनराल की दृढ़ इच्छा और मेहनत का फल है कि आज ये स्कूल पहाड़ का टॉप लेवल का सरकारी प्राथमिक स्कूल कहा जा रहा है।
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उमेश सिंह मनराल बच्चों को अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इस स्कूल की स्मार्ट क्लासेज में बच्चे प्रोजक्टर के जरिए पढ़ाई करते हैं। ब्लाक लेवल पर इस स्कूल को सर्वश्रेष्ठ विद्यालय का सम्मान भी मिला है। कई बड़े अधिकारी इस स्कूल की तारीफ कर चुके हैं। वास्तव में ऐसे स्कूल और ऐसे शिक्षक देश के लिए एक मिसाल हैं।